For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल- मुझे शायरी में पुकार दे!

११२ १२ ११२ १२

तु गजल में थोडा खुमार दे!
तु जरा सा और सँवार दे!!

तेरे लफ्ज तेरी जमीन है!
इन्हें आँसुओं से निखार दे!!

उसे भूल जा है जो बेवफा!
ये लिबास गम का उतार दे!!

यूं घुमा फिरा के न बात कर!
मुझे साफ साफ नकार दे!!

मैं बिगड गया मुझे डाँट माँ!
मेरी जिन्दगी को सुधार दे!!

या खुदा तु कह दे घटाओं से!
मेरे खेत को भी दुलार दे!!

कि मैं दफ्न हूँ मेरे शे'र में!
मुझे शायरी में पुकार दे!!


मौलिक व अप्रकाशित!

Views: 1563

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shyam Narain Verma on January 14, 2015 at 11:08am

इस सुन्दर ग़ज़ल पर दाद कबूलें

Comment by Rahul Dangi Panchal on January 14, 2015 at 10:16am
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी शुक्रिया! सर मै ये पुछना चाहता हुँ क्या अब यह गजल नहीं रही? सादर!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 14, 2015 at 10:13am

आदारणीय राहुल भाई  ग़ज़ल बढिया हुई है , दिली बधाई स्वीकार करें । आ. खुर्शीद भाई जी ने बहुत सही बात बताई है , काफिया मे मात्रा नहीं गिराना चाहिये ।

Comment by Rahul Dangi Panchal on January 14, 2015 at 9:47am
आदरणीय khursheed khairadi जी शुक्रिया! आपका आभारी हुँ आपने मेरी नॉलिज में एक पंक्ति और जोड दी! ! आपने गलती से मेरे नाम के बदले आदरणीय दिनेश जी का नाम लिख दिया है सादर! तुक पे मात्रा गिराने से क्या अब अब यह गजल बेबहर हो गयी सर?
Comment by khursheed khairadi on January 14, 2015 at 9:17am

मेरे दोस्त दिल की जमीन पर!
तुझे जीतना है तो हारा कर!

आदरणीय दिनेश जी सुन्दर भाव युक्त ग़ज़ल हुई है |बधाई आपको , काफ़िये के हर्फ़-ए - रवी (तुक के शब्द ) जैसे यहाँ र +आ (रा)  है , पर दीर्घ मात्रा को गिराकर लघु नहीं करने का नियम है अर्थायत तुक पर मात्रा नहीं गिरानी चाहिए ,  आपकी भावाभिव्यक्ति उम्दा है ,सादर अभिनन्दन |

Comment by Rahul Dangi Panchal on January 13, 2015 at 10:13pm
आदरणीय Hari Prakash Dubey जी हार्दिक धन्यवाद स्वीकार करें!
Comment by Hari Prakash Dubey on January 13, 2015 at 10:04pm

मैं बिगड गया, तु कहाँ है माँ!

मुझे डाँट फिर मुझे मारा कर……………… सुन्दर रचना ,हार्दिक बधाई आदरणीय राहुल जी !

Comment by Rahul Dangi Panchal on January 13, 2015 at 9:14pm
आदरणीय प्रतिभा जी शुक्रिया
Comment by Rahul Dangi Panchal on January 13, 2015 at 8:25pm
आदरणीय जवाहर लाल जी सादर धन्यवाद!
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on January 13, 2015 at 7:54pm

अच्छी रचना!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
16 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service