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ग़ज़ल .........;;;गुमनाम पिथौरागढ़ी

२१२ २१२ २२


गम तुम्हारा नहीं होता
तो गुजारा नहीं होता


लूटते प्यासे ये सागर
गर ये खारा नहीं होता


मौत तेरे बुलावे से
अब किनारा नहीं होता


तेरी सौगात है वरना
जख्म प्यारा नहीं होता


है खुदा साथ जिसके वो
बेसहारा नहीं होता


मौलिक व अप्रकाशित


गुमनाम पिथौरागढ़ी

Views: 720

Comment

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Comment by भुवन निस्तेज on January 24, 2015 at 8:30am
इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार करें भाई गुमनाम....
Comment by gumnaam pithoragarhi on January 22, 2015 at 6:40pm

धन्यवाद दोस्तों कुछ लिखने की बाद समालोचना सुनने की उत्सिकता रहती है प्रतिभा जी इसमें क्षमा जैसी कोई बात नहीं ऐसा मुझसे कई बार हुआ है खैर धन्यवाद आपका


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 22, 2015 at 8:03am

बहुत सुन्दर !! आदरणीय गुमनाम भाई , बधाई ।

Comment by Krishnasingh Pela on January 21, 2015 at 7:23pm
ग़म तुम्हारा नहीं होता
तो गुज़ारा नहीं होता
वाह ! क्या मत्ला है ! बधाई हो !
Comment by ajay sharma on January 20, 2015 at 11:07pm

bahut hi badia gazal ke liye dhanyawad ...sir ji 

Comment by gumnaam pithoragarhi on January 20, 2015 at 9:02pm

शुक्रिया दोस्तो आप का सहयोग प्रेरित करता है ............

Comment by Sushil Sarna on January 20, 2015 at 7:50pm

वैसे आदरणीय मैं भी वामनकर जी के कथन से सहमत हूँ कि अगर कुछ और अशआर हो जाते तो मज़ा आ जाता। 

Comment by Sushil Sarna on January 20, 2015 at 7:48pm

गम तुम्हारा नहीं होता
तो गुजारा नहीं होता

लूटते प्यासे ये सागर
गर ये खारा नहीं होता

वाह वाह और वाह ही कहेंगे हम आपकी इस दिलकश ग़ज़ल की प्रस्तुति पर आदरणीय गुमनाम जी।

Comment by Hari Prakash Dubey on January 20, 2015 at 6:43pm

आदरणीय गुमनाम पिथौरागढ़ी जी, बधाई थोडा इस पंक्ति को समझने में समय लगा ....लूटते प्यासे ये सागर 
गर ये खारा नहीं होता ...!


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 20, 2015 at 3:31pm

छोटी बहर में अच्छी ग़ज़ल, बधाई गुमनाम जी.

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