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कोई मुझे नेता बना दे---डॉo विजय शंकर

काश कोई मुझे नेता बना दे ,
अपने हाथों से उठाये
और भीड़ में गिरा दे |
फिर देखना , कैसे उठता हूँ मैं ,
हाय कोई एक बार तो गिरा दे ,
कोई तो मुझे नेता बना दे |
मेरा प्रोफाइल देख ले,
रिज्यूमे भेज देता हूँ ,
फोटो भी लगा देता हूँ,
क्या-क्या किया है , बता देता हूँ ,
ऐसा क्या है , मैं कर नहीं सकता ,
लोग हैरत में आ जायेंगें ,
जो कर के दिखा सकता हूँ |
बस एक बार , एक बार ,
मुझे उठाओ , एक बार मुझे उछालो ,
फिर देखना , क्या क्या दिखाऊंगा ,
बस मैं ही मैं नज़र आऊंगा।
जागतों को नज़र आऊंगा ,
सोतों के सपने में आऊंगा ,
मेरे ही , बस मेरे ही चर्चे होंगें ,
मेरे बैनर , मेरी ही तस्वीरें होगीं ,
मेरे ही बुत होंगें ,
सब मुझको ही जानेगें ,
तब सब मुझको पहचानेगें।
मैं होऊंगा , मैं होऊंगा ,
बस मैं ही मैं होऊंगा।
एक बार , बस , एक बार ,
कोई मुझे नेता बना दे ,

मौलिक एवं अप्रकाशित
डॉo विजय शंकर

Views: 655

Comment

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Comment by Dr. Vijai Shanker on February 4, 2015 at 10:54pm
प्रिय जीतेन्द्र जी आपका सुझाव बहुत सही है, मान्य है, रचना स्वीकारने के लिए आभार, धन्यवाद ,सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on February 4, 2015 at 10:52pm
आपका सुझाव मान्य है, रचना स्वीकारने के लिए आभार, धन्यवाद , आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 4, 2015 at 9:21pm

आदरणीय डॉ विजय शंकर सर, सुन्दर और लयबद्ध रचना के लिए हार्दिक बधाई.

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 4, 2015 at 8:00pm
रचना को स्वीकार करने एवं उसकी प्रशस्ति के लिए धन्यवाद आदरणीय विश्व राज सिंह राठोर जी , सादर।
Comment by मोहन बेगोवाल on February 4, 2015 at 6:30pm

 सर जी, क्या कहूँ , शब्द नहीं मिल रहे ,आप की तस्वीरनुमा नज़्म के बारे - बहुत बहुत बधाई हो 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 4, 2015 at 5:06pm

हालांकि बहुत आवश्यकता है किन्तु आप हमारे बीच ही अच्छे है. :-))   क्युकी ऐसा सुना हैं राजनीति की नम हवायें, लोहे को भी जंग लगा देती हैं.  रचना पर बधाई आदरणीय डा. विजय जी.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 4, 2015 at 3:33pm

आदरणीय विजय भाई , आप ऐसे ही अच्छे हैं , काहे नेता वोता बनना चाह रहे हैं । वैसे रचना बहुत सुन्दर लगी, हार्दिक बधाई ।

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