For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -- हर तरफ है ज़ह्र फैला , आज शंकर कौन होगा ( गिरिराज भंडारी )

2122     2122      2122      2122  

कौन सागर को मथेगा, और सागर कौन होगा

हर तरफ है ज़ह्र फैला , आज शंकर कौन होगा

 

कौन पर्वत से लिपट के पूँछ-मुँह बांटे किसी को

सब की बरक़त चाहता हो, ऐसा विषधर कौन होगा

 

चिलमनों से झाँक के सारे नज़ारे देखते हैं

आज सड़कों पे उतरने घर से बाहर कौन होगा

 

आज ज़िंदाँ की सलाखें सोचतीं हैं देख कर ये

सर परस्ती सब को हासिल, आज अंदर कौन होगा

 

ये ज़मीं तो चाहती है सब बराबर ही रहें पर

हैं अना के जंग सारे , अब सिकंदर कौन होगा

 

सर्प कोई रोज मेरी सभ्यता को डस रहा है

सोचता हूँ आज लिपटेगा वो अजगर कौन होगा

 

धुंध , आंधी और तूफ़ाँ , उसपे हर सू है अँधेरा

पर जलाता है दिया जो शख़्स अक्सर , कौन होगा ?

 

झाँकता हूँ ख़ुद के अन्दर तो मेरा दिल बोलता है

क्यूँ ग़ज़ल कहता है भाई , तुझसे बदतर कौन होगा

************************************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 813

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 18, 2015 at 9:19pm

आदरणीया राजेश जी , हौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 18, 2015 at 9:18pm

आदरणीय सोमेश भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हृदय से आभार ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 18, 2015 at 9:16pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 18, 2015 at 9:15pm

आदारणीय , परि एम श्लोक भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 18, 2015 at 8:14pm

आज के परिवेश  में बहुत से गंभीर प्रश्नों को सम्मुख रखती शानदार ग़ज़ल ,सभी शेर उम्दा हैं बहुत बहुत दाद कबूलें आ० गिरिराज जी. 

Comment by somesh kumar on February 18, 2015 at 8:09pm

सागर मंथन के बहाने आपने कितनी सुन्दरता से विचार मंथन कर दिया |बधाई इस सुंदर प्रस्तुति पर आदरणीय |

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 18, 2015 at 12:12pm

चिलमनों से झाँक के सारे नज़ारे देखते हैं

आज सड़कों पे उतरने घर से बाहर कौन होगा

 बहुत खूब ... आद० भाई गिरिराज जी , सम्पूर्ण ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई l

Comment by Pari M Shlok on February 18, 2015 at 10:09am
ये ज़मीं तो चाहती है सब बराबर ही रहें पर
हैं अना के जंग सारे , अब सिकंदर कौन होगा

आज ज़िंदाँ की सलाखें सोचतीं हैं देख कर ये
सर परस्ती सब को हासिल, आज अंदर कौन होगा

वाह गज़ब की ग़ज़ल ....बेहद मुबारक आपको

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 17, 2015 at 8:12pm

आदरणीय धर्मेन्द्र भाई , आपसे सराहना पाके गज़ल मुकम्मल हो गई । आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 17, 2015 at 8:11pm

आदरणीय जीतेन्द्र भाई , गज़ल की तरीफ कर हौसला अफजाई करने का शुक्रिया ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय Dayaram Methani जी आदाब ग़ज़ल अभी समय चाहती है। मिसरों में परिपक्वता और रब्त की आवश्यकता…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बहुत ख़ूब आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल हुई है, पूरी ग़ज़ल रवानी में है, शे'र दर…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। //इक सिलाई मशीन उस के…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिल…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय अमित जी और निलेश…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय मनोज अहसास जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, ग़ज़ल अभी…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय यूफोनिक अमित जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"मतला अब भी प्रभावित नहीं कर रहा। बला के इलावा किसी और एंगल से सोचें।"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, हौसला अफ़ज़ाई और दाद-ओ-तहसीन से नवाज़ने के लिए…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद हौसला अफ़ज़ाई और दाद-ओ-तहसीन से नवाज़ने के लिए तह-ए-दिल…"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service