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जिंदगी को सौ बार जिया होता --डॉo विजय शंकर

इक बार जिंदगी में प्यार किया होता
खोने का मजा भी आ गया होता ,
जिंदगी भर जोड़ते रहे योगी बन के
कुछ बाँट दिया होता कुछ भोग लिया होता ,
रिश्तों को , दोस्तों को , तराजू पे तौलते रहे
कभी तो तराजू को आराम दिया होता ,
दुनिया कुछ नहीं , इक खूबसूरत नज़ारा है
जी भर के इसको , देख लिया होता ,
कुछ कह लिया होता ,कुछ सुन लिया होता
कुछ खो दिया होता ,कुछ पा लिया होता ,
कुछ भी तो साथ यहां से जाता नहीं
जो कुछ था यहीं , भुना लिया होता ,
जिंदगी को नसीहतें क्या देते रहे
जिंदगी को जी भर के जी लिया होता ,
जब भी जाते खुशी खुशी जाते
न ये मलाल होता , न वो मलाल होता ,
इक बार जिंदगी में प्यार किया होता
एक ही जिंदगी को सौ बार जिया होता ||

मौलिक एवं अप्रकाशित
डॉo विजय शंकर

Views: 760

Comment

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Comment by Dr. Vijai Shanker on March 18, 2015 at 1:28am
आदरणीय इंजीo गणेश जी बागी जी , आपको रचना पसंद आई आभार। आपकी सराहना एवं बधाई हेतु धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 18, 2015 at 1:24am
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , उत्साहवर्धन के लिये बहुत बहुत आभार, सद्भावनाओं के लिए ह्रदय से धन्यवाद , सादर।

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 17, 2015 at 10:07pm

अच्छी रचना आदरणीय डॉ विजय शंकर जी, एक अलग तासीर है इस कविता में, बहुत बहुत बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 17, 2015 at 9:46pm

आदरणीय विजय भाई , ज़िन्दगी की कुछ सच्चाइयों को लेकर बढिया सदेश दिया है आपने , हार्दिक बधाई रचना के लिये ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 17, 2015 at 8:41pm
आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी, रचना आपको अच्छी लगी , आभार. आपकी प्रशस्ति, बधाई हेतु धन्यवाद, सादर।
Comment by Hari Prakash Dubey on March 17, 2015 at 7:47pm

आदरणीय डॉ विजय शंकर सर, बेहतरीन प्रस्तुति हार्दिक बधाई , सादर !

कुछ भी तो साथ यहां से जाता नहीं

जो कुछ था यहीं , भुना लिया होता....बहुत सुन्दर .

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 17, 2015 at 6:25pm
आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी , आपको रचना पसंद आई , आपका बहुत बहुत आभार एवं प्रशस्ति हेतु धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 17, 2015 at 6:24pm
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी , आपको रचना पसंद आई , आपका बहुत बहुत आभार।आपकी प्रशस्ति हेतु धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 17, 2015 at 6:22pm
आदरणीय सुश्री निधि अग्रवाल जी , आपको रचना पसंद आई , आपका आभार।आपकी प्रशस्ति हेतु धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 17, 2015 at 6:20pm
आदरणीय श्याम मठपाल जी , आपको रचना दिल से पसंद आई , आपका बहुत बहुत आभार।आपकी बधाई हेतु धन्यवाद , सादर।

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