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देशराज सिंह के बेटे ( लघु- कथा ) --- डॉo विजय शंकर

देशराज सिंह के चार बेटे हुए , उनमें से तीन के नाम हैं , ज्ञान सिंह, वचन सिंह ,करम सिंह ।
ये तीनों जब से अपने हाथ पाँव के हुए एक दूसरे दूर हो गए।
लोग समझते हैं कि वे एक दूसरे से बिलकुल अंजान हो गए जबकि असलियत यह है कि वे तीनों आपस में एक दूसरे की शक्ल ही नहीं देखना चाहते हैं , कभी-कभार का मिलना जुलना तो बहुत दूर की बात. तीनों एक दूसरे से बिलकुल उल्टी दिशा में चलते हैं।
और चौथा ?
चौथा , विवेक सिंह , वो तो हर समय सोया ही रहता है, कभी जागा हो, किसी ने देखा ही नहीं।


मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by rajesh kumari on May 6, 2015 at 11:10am

जब चारों बेटों का ये हाल है तभी तो देश राज की ये दुर्दशा हो रही है फिर कैसे विकास हो ?विचारणीय है ...बिम्बों के सहारे से बहुत गहन मुद्दे को छुआ है आपने बहुत बहुत बधाई आ० डॉ.विजय शंकर जी

एक बात मैं भी  जोड़ दूँ ...शांति,स्नेहा,संस्कृति  तीनों बेटियाँ भी मायके को भूल चुकी हैं.....  

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 6, 2015 at 12:13am

बहुत बढ़िया कटाक्ष. सच ही है  चारों,  चार दिशा में हैं.प्रस्तुती पर बधाई

Comment by Dr. Vijai Shanker on May 5, 2015 at 11:19pm
प्रिय मिथिलेश जी, रचना पर आपकी उपस्थिति, आपकी प्रतिक्रिया एवं प्रशस्ति सराहनीय है, आभार, बधाई के लिए धन्यवाद, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on May 5, 2015 at 11:17pm
आदरणीय मनोज जी, रचना पर आपकी उपस्थिति, आपकी प्रतिक्रिया सराहनीय है, आभार, सद्भावनाओं के लिए धन्यवाद, सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 5, 2015 at 10:48pm

ज्ञान वचन कर्म और विवेक के ताने बाने में सुन्दर लघुकथा 

बहुत बहुत बधाई आदरणीय डॉ विजय शंकर सर 

Comment by मनोज अहसास on May 5, 2015 at 10:37am
प्रणाम सर लघुकथा बड़े अर्थ समेटे हुए है ज्ञान वचन करम विवेक और विवेक सोया हुआ है
विचार कर रहा हु सर इसके गहरे अर्थ मुझ पर प्रगट हो जाये
सादर बधाई

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