For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मन का गुबार (लघुकथा) // --शुभ्रांशु

 “हैलो माँ ! कैसी हो ? खाना खा लिया ? भाभी का क्या हाल है?” माला ने फ़ोन पर अपनी माँ से सवालों की झड़ी लगा दी.

“कहाँ खाया है बेटा? एक तू है जो रोज़ फ़ोन करके आधा-एक घंटा बात कर मन हल्का कर देती है. वर्ना तेरी भाभी को तो हमसे कोई मतलब ही नहीं. बस लगी रहती है अपने कमरे में.. फ़ोन पर.. जब खाना बन जायेगा तो खा ही लूँगी..”, माँ का शिकायत भरे लहजे में जबाब आया.

“ऐसे थोडे ही चलेगा, माँ !“

तभी अन्दर के कमरे से माला की सास की आवाज आयी, “ बहूऽऽ, दोपहर होने को आयी, सुबह का नाश्ता भी मिलेगा क्या..? या फ़ोन से ही चिपके रहना है ?”

“तो क्या अब अपने परिवार वालों से भी बातें न करूँ ?.. एक वही लोग तो हैं, जिनसे बातें कर मन हल्का कर लेती हूँ..”, माला का तमतमाता हुआ ज़वाब आया.

**********

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 896

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 19, 2015 at 4:08pm

घर-घर की कहानीहै यह , प्रिय सुभ्रांशु जी  पञ्च की कुछ कमी रह गयी है , सस्नेह .

Comment by Shubhranshu Pandey on May 19, 2015 at 10:52am

आदरणीय विनस जी ,

आप जैसे गुनी जन का मेरी कथा पर आना ही सौभाग्य की बात है. 

आगे.....हाथ आपका पीठ आपकी......

सादर.

Comment by Shubhranshu Pandey on May 19, 2015 at 10:43am

आदरणीय मिथिलेश जी, 

कथा पर अपने विचार देने केलिये धन्यवाद. लघुकथा के आवश्यक तत्वों की उपस्थिति को इंगित करने के लिए आभार,

सादर.

Comment by Shubhranshu Pandey on May 19, 2015 at 10:28am

आदरणीय हरि प्रकाश जी, 

कथा पर अपने विचार देने के लिये धन्यवाद. आप लोगों के विचार से सम्बल मिलता है.

सादर.

Comment by Shubhranshu Pandey on May 19, 2015 at 10:22am

आदरणीय अमन जी, 

एक सनातन समस्या जिसका हल धीरे धीरे हो जाता है. 

कथा पर विचार देने के लिये धन्यवाद.

सादर.

Comment by Shubhranshu Pandey on May 19, 2015 at 10:20am

आदरणीया राजेश जी

एक पुरानी कहावत है, "जित देखा तित एके लेखा,". 

जब एक पाठिका एक स्त्री मनोविज्ञान की कथा पर अपनी सहमती प्रदान करती है तो कथा की सफ़लता पर प्रश्न नहीं रह जाता है. कथा पर अपने विचार देने के लिये आभार.

सादर.

Comment by Shubhranshu Pandey on May 19, 2015 at 10:07am

आदरणीय जितेन्द्र जी, 

कथा को मान देने के लिये आभार,

सादर.

Comment by Tanuja Upreti on May 19, 2015 at 10:05am

कटु किन्तु यथार्थ , बधाई 

Comment by Shubhranshu Pandey on May 19, 2015 at 10:02am

आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी, 

कथा पर विचार रखने के लिये आभार,

सादर.

Comment by विनय कुमार on May 19, 2015 at 12:33am

अपना किया कहाँ दिखता है , बस दोषारोपण करना है दूसरे पर । अच्छी लघुकथा आदरणीय..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
4 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
15 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
20 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service