For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्या कहूँ सच का हाल इस दौर में मित्रों 

मैंने अपनों से सच कहने की सजा पायी है 

अब तो हद है जुल्मों सितम गरीबों पर 

आम को इमली न कहने की सजा पायी है 

अब तो जुर्म करने वाले भी बेबाक घूमते हैं

कईयों ने तो जुर्म सहने की सजा पायी है

 बक्शा नही प्रभु ने मेरे आलिन्द गिरा दिए 

मैंने माँ को बेघर करने की सजा पायी है 

टूटा है दिल मेरा आँखों में सिर्फ पानी है 

हाँ मैंने इश्क़ करने की सजा पायी है 

कैद हैं पिजड़े में, माँ संग नीड में रहने वाले 

बस खुले आसमान में उड़ने की सजा पायी है 

****************************************

"मौलिक व अप्रकाशित "

Views: 568

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by maharshi tripathi on June 5, 2015 at 6:57pm

आ. गिरिराज भंडारी जी ,,आगे से रचना की विधा जरुर लिखूंगा ,,,आपको बात अच्छी लगी मेरा लिखना सफल हुआ |आ. वैसे तो ये गजलनुमा कविता है |

Comment by maharshi tripathi on June 5, 2015 at 6:53pm

आ. Samar kabeer जी , JAWAHAR LAL SINGH  जी , Dr. Vijai Shanker  जी , Mohan Sethi 'इंतज़ार' जी ,,रचना को सराहने हेतु आप सभी का आभार |

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 5, 2015 at 6:44pm

बहुत सुन्दर भाव के साथ प्रस्तुति! 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 5, 2015 at 10:28am

आदरणीय , रचना किस विधा मे है , लिख देना उचित होता है , ताकि हम पाठक उस लिहाज़ से रचना का मूल्यांकन कर सकें । बहर हाल आपकी बातें अच्छी लगीं , रचना के लिये आपको बधाई ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 4, 2015 at 9:34pm

वाह, वाह, बस खुले आसमान में उड़ने की सजा पायी है , क्या बात है, बहुत सुन्दर प्रस्तुति, आदरणीय महिर्षि जी, बधाई, सादर।  

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on June 4, 2015 at 3:10pm

वाह ...टूटा है दिल मेरा आँखों में सिर्फ पानी है  हाँ मैंने इश्क़ करने की सजा पायी है ...बहुत ख़ूब जनाब 

Comment by Samar kabeer on June 4, 2015 at 11:01am
जनाब महर्षि त्रिपाठी जी,आदाब,सुन्दर भावों से सजी इस शानदार प्रस्तुति के लिये बधाई स्वीकार करें।
Comment by maharshi tripathi on June 3, 2015 at 11:12pm

आ.बड़े भाई  krishna mishra 'jaan'gorakhpuri जी ,,रचना पर आपकी प्रतिक्रिया ,,मुझे हौसला देते है | 

Comment by maharshi tripathi on June 3, 2015 at 11:07pm

आ. डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव इस उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया पर आपको सादर प्रणाम !

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on June 3, 2015 at 11:04pm

आम को इमली न कहने की सजा पायी है!! वाह क्या बात है भाई महर्षि! बहुत सुन्दर!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"घास पूस की छत बना, मिट्टी की दीवारबसा रहे किसका कहो, नन्हा घर संसार। वाह वाह वाह  आदरणीय…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक रक्तले सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया जानकर खुश हूं। मेरे प्रयास को मान देने के लिए…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार आपका। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकर मुग्ध हूं। हार्दिक आभार आपका। मैने लौटते हुए…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। चित्र के अनुरूप सुंदर दोहे हुए है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। चित्र को साकार करते अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।  भाई अशोक…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार। छठे दोहे में सुधार…"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र आधारित दोहा छंद टूटी झुग्गी बन रही, सबका लेकर साथ ।ये नजारा भला लगा, बिना भेद सब हाथ…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्र को साकार करती उत्तम दोहावली हुई है। हार्दिक बधाई।"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मिथिलेश भाई, आपकी प्रस्तुति ने आयोजन का समाँ एक प्रारम्भ से ही बाँध दिया है। अभिव्यक्ति में…"
10 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  दोहा छन्द * कोई  छत टिकती नहीं, बिना किसी आधार। इसीलिए मिलजुल सभी, छत को रहे…"
16 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, प्रदत्त चित्र पर अच्छे दोहे रचे हैं आपने.किन्तु अधिकाँश दोहों…"
17 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service