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लघुकथा – तकनीक

बिना मांगे ही उस ने गुरु मन्त्र दिया, “ आप को किस ने कहा था, भारी-भारी दरवाजे लगाओं. तय मापदंड के हिसाब से सीमेंट-रेत  मिला कर अच्छे माल में शौचालय बनावाओं. यदि मेरे अनुसार काम करते तो आप का भी फायदा होता ?” परेशान शिक्षक को और परेशान करते हुए पंचायत सचिव ने कहा , “ बिना दक्षिणा दिए तो आप का शौचालय पास नहीं होगा. चाहे आप को १०,००० का घाटा हुआ हो.”

“ नहीं दूं तो ?”

“ शौचालय पास नहीं होगा और आप का घाटा ३५,००० हजार हो जाएगा. इसलिए यह आप को सोचना है कि आप १५,००० का घाटा खाना चाहते है या ३५,००० हजार का ?”

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२४/०६/२०१५

मौलिक और अप्रकाशित

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Comment by Omprakash Kshatriya on June 24, 2015 at 6:33pm
आदरणीय Dr. Vijai Shanker जी
आप को लघुकथा पसंद आई . मेरी मेहनत सफल हो गई .
आभार आप का
Comment by Dr. Vijai Shanker on June 24, 2015 at 6:17pm
सत्य-लघु-कथा। बधाई , आदरणीय ओम प्रकाश क्षेत्रीय जी, सादर।
Comment by Hari Prakash Dubey on June 24, 2015 at 5:13pm

आ. Omprakash Kshatriya जी, रचना सुन्दर है, पर पंचायत सचिव का  एक स्कूल  के शौचालय  से  सम्बन्ध स्पष्ट नहीं  हो पा रहा  है  ! मार्दर्शन  की  अपेक्षा के  साथ ! सादर 

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