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ब्रेकिंग न्यूज़

"अबे तू मुंह बन्द करके बैठेगा, देखता नहीं बड़े लोग आपस में बात कर रहे हैं"

थानेदार ने घुड़की पिलाई और पत्रकार मित्र की ओर खींसे निपोरी। बेचारा शंकरा और सिमट गया, मुलिया ने बारह वर्षीया चुन्नी के पैरों पर का कपड़ा ठीक किया और बड़बड़ाने लगी दिमाग ठिकाने नहीं था उसका जब से बेटी की ऐसी हालत देखी थी चारों तरफ लाल ही रंग दिख रहा था उसे। पत्रकार महोदय ने कहा:

"ये तो और भी अच्छा है कि शंकरा नेता जी के घर के पास वाली झुग्गियों में रहता है नहीं तो चैनल मुझे नौकरी से ही निकाल देता अब लपेटता हूं नेता जी को भी आखिर मुझे भी तो प्रमोशन चाहिये। फोटो दिलवाओ ज़रा भाई साब" उसने थानेदार से कहा।

फोटोग्राफर ने दर्द से तड़पती चुन्नी के पैर से कपड़ा ऊपर किया और कहा अरे फोटो तो ठीक से लेने दो लोगों की सहानुभूति कैसे मिलेगी। मुलिया रात को हैवानियत का शिकार हुयी चुन्नी पर और भी झुक गयी जैसे पूरा का पूरा ढक लेगी अपनी लाड़ली को।

(मौलिक और अप्रकाशित)

आभा चन्द्रा

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Comment by Sulabh Agnihotri on June 23, 2016 at 7:33pm

बहुत खूब ... बहुत-बहुत खूब !

Comment by Nita Kasar on June 18, 2016 at 10:33am
माँ तो माँ होती है ,आज के पत्रकारों का क्या उन्है वाकई ब्रेकिंग न्यूज़ की पड़ी रहती है,नैतिकता,और मानवता से इस तरह के लोगों का कोई वास्ता नही होता।बधाई आपको आद०आभा चन्द्रा जी ।
Comment by kanta roy on June 14, 2016 at 1:20pm

संवेदनहीनता  के  अतिरेक  में  डूबी हुई  ये  क्षण - विशेष उत्कृष्ट लघुकथा बन  पड़ी है  आपकी   आदरणीया  अभा  जी . बधाई  प्रेषित  है 

Comment by Abha Chandra on June 6, 2016 at 11:44am

उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए तहेदिल से आभारी हु आदरणीय तेजवीर सिंह जी
सादर नमन

Comment by Abha Chandra on June 6, 2016 at 11:43am

उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए तहेदिल से आभारी हु आदरणीय पवन जी 

सादर नमन

Comment by Abha Chandra on June 6, 2016 at 11:42am

स्नेहिल उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए तहेदिल से आभारी हु आदरणीय राजेश कुमारी जी
सादर नमन

Comment by Abha Chandra on June 6, 2016 at 11:41am

उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए तहेदिल से आभारी हु आदरणीय नीता जी
सादर नमन

Comment by Abha Chandra on June 6, 2016 at 11:39am

उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए तहेदिल से आभारी हु आदरणीय सुशिल सरना जी
सार्थक समीक्षा कथा की
काश मानव मानव का दर्द समझ पाए......

Comment by TEJ VEER SINGH on June 5, 2016 at 8:31pm

हार्दिक बधाई आभा जी!बेहतरीन लघुकथा!


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Comment by rajesh kumari on June 5, 2016 at 9:54am

आज की कडवी सच्चाई को जिस तरह से लघु कथा में पेश किया काबिले तारीफ है अंतिम पंक्ति तो झकझोर देती है एक माँ की मनोदशा हर माँ बखूबी समझ सकती है |बहुत बहुत बधाई आभा जी 

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