For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल(कुर्सी के हाथ हुए पीले)

22 22 22 22
***********
कुर्सी के हाथ हुए पीले
साहब जी अब पड़ते ढ़ीले।1

पानी उतरा जाता उनका
दीख रहे टीले ही टीले।2

बिकते आये घोड़े माफिक
रंग रहे काफी चटकीले।3

याद सताती कुर्सी की तो
हो जाते हैं खूब हठीले।4

ढूँढ रहे वे रोज सनद ही
उम्मीद बँधे तो हैं फुर्तीले।5

कुर्सी ढ़ाढ़स देती,कहती-
पाँच बरस कैसे भी जी ले।6

रक्त पिये जायेगा कितना
थोड़ा-थोड़ा आँसू पी ले।7

अँधियारे में वस्त्र फटा है
उजियारे में अब तो सी ले।8

कितना और उछालेगा तू
अंग हुए हैं पंकिल,गीले।9

दाग नहीं धुलता दामन का
निर्मल जल अब कितना लीले?10

खूब रहीं गुलजार फिजाएँ,
शुष्क हवाओं का रस भी ले।11
मौलिक व अप्रकाशित@

Views: 700

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on May 10, 2017 at 8:34am
आदरणीय समर जी,गिरिराज भाई,बृजेश जी,आभारी हूँ।कतिपय परिवर्त्तन लाजिमी है,करूँगा भी।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 9, 2017 at 5:54pm
अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय..बधाइयाँ

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 8, 2017 at 10:39pm

आदरनीय समर भाई , मुझे नही लगता ' केवल ' भर्ती का --  इसका मतलब  है ..मिसरे में .. 

फिर भी मैने कोई दबाव नही डाला है कि इसे ही स्वीकार करे ... // सही लगे तो परिवर्तन कीजियेगा //  लिखा है अंत मे , और ये इस बात का भी सबूत है कि , मैने उनके मिसरे को गलत नही कहा है ...  ।  सादर

Comment by Samar kabeer on May 8, 2017 at 10:18pm
'रक्त पिये जायेगा कितना'
भाई गिरिराज जी ये मिसरा तो ठीक है,आपके सुझाये मिसरे:-
'केवल रक्त पियेगा कितना'
में 'केवल'शब्द भर्ती का है,ग़ौर कीजियेगा ।
Comment by Manan Kumar singh on May 8, 2017 at 10:09pm
आदरणीय गिरिराज भाई नमन व शुक्रिया।देखता हूँ।
Comment by Manan Kumar singh on May 8, 2017 at 10:08pm
आभार व आदाब आ द र णी य समर जी।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 8, 2017 at 10:04pm

आदरनीय मनन भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है ... बधाइयाँ स्वीकार करें ।

लय के हिसाब से -- कुर्सी के हाथ हुए पीले  - को --   हाथ हुए कुर्सी के पीले     ... कर लीजियेगा

रक्त पिये जायेगा कितना   --को -- केवल रक्त पियेगा कितना --  

सही लगे तो परिवर्तन कीजियेगा ।

Comment by Samar kabeer on May 8, 2017 at 10:03pm
जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

'बिकते आये घोड़े माफिक'
इस मिसरे में 'माफिक'शब्द ग़लत है,सही शब्द है "मुआफ़िक़"देखियेगा ।

'अँधियारे में वस्त्र फता है
उजियारे में अब तो सी ले'
इस शैर का सानी मिसरा यूँ होना चाहिये:-
'उजियारा है, अब तो सी ले'
या
'उजियारे में इसको सी ले'
Comment by Manan Kumar singh on May 8, 2017 at 7:56pm
आदरणीय बसंत शर्मा जी, आभारी हूँ।
Comment by बसंत कुमार शर्मा on May 8, 2017 at 7:41pm

बहुत अच्छी गजल हुई आदरणीय मनन जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
1 hour ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
16 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
17 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service