For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तेरे इंतज़ार में ...

तेरे इंतज़ार में ...

गज़ब करता रहा
तेर हर वादे पे
यकीं करता रहा
हर लम्हा
तेरी मोहब्बत में
कई कई सदियाँ
जीता रहा
और हर बार
सौ सौ बार
मरता रहा
पर अफ़सोस
तू
मुझे न जी सकी
मैं
तुझे न जी सका
पी लिया
सब कुछ मगर
इक अश्क न पी सका
मेरी ख़ामोशी को तूने
मेरी नींद का
बहाना समझा
तू
ग़फ़लत में रही
और
मैं
अजल का हो गया
तिश्नागर आँखों के
अश्क सूख गए
इंतज़ार की
आदत से मज़बूर पलक
खुली रह गयी
वक्ते रुखसत तूने
इक बार भी न देखा
नज़र भर के मुझे
गो
मैं मर कर भी
तेरे इंतज़ार में
जीता ही रहा

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 601

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on September 29, 2017 at 7:29pm

आदरणीय तस्दीक़ अहमद खान साहिब, आदाब। .. सृजन आत्मीय स्नेह से पोषित करने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on September 29, 2017 at 7:28pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है। 

Comment by Sushil Sarna on September 29, 2017 at 7:28pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी भाई साहिब सृजन के भावों को अपना अमूल्य समय देकर उपकृत करने का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on September 29, 2017 at 7:27pm

आदरणीय विजय निकोर साहिब , प्रणाम। .... सृजन के भावों को अपनी स्नेह गंगा से अमृत्व प्रदान करने का दिल से आभार। 

Comment by Sushil Sarna on September 29, 2017 at 7:26pm

आदरणीय रामबली गुप्ता जी सृजन को अपनी आत्मीय वाह से शोभित करने का हार्दिक आभार।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 28, 2017 at 6:00pm
जनाब सुशील सरना साहिब ,इंतज़ार के फ़लसफ़े को बयान करती सुन्दर कविता हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 28, 2017 at 4:28pm
आ. भाई सुशील जी अच्छी कविता हुई है । हार्दिक बधाई ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 27, 2017 at 11:18am

बहुत खूब , आदरनीय सुशील भाई , बढ़िया कविता रची है , हार्दिक बधाइयाँ

Comment by vijay nikore on September 27, 2017 at 5:44am

//इक बार भी न देखा 
नज़र भर के मुझे 
गो 
मैं मर कर भी 
तेरे इंतज़ार में 
जीता ही रहा//

बहुत ही खूबसूरत , वाह ! ऐसे ही लिखते रहें। हार्दिक बधाई, भाई सुशील जी।

Comment by रामबली गुप्ता on September 26, 2017 at 10:00pm
सुशील सरना जी****

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो

.तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो जो मुझ में नुमायाँ फ़क़त तू ही तू हो. . ये रौशन ज़मीरी अमल एक…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 171 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थित और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई श्यामनाराण जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"वाहहहहहह गुण पर केन्द्रित  उत्तम  दोहावली हुई है आदरणीय लक्ष्मण धामी जी । हार्दिक…"
Tuesday
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
Tuesday
Shyam Narain Verma commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - उस के नाम पे धोखे खाते रहते हो
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
Shyam Narain Verma commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर और ज्ञान वर्धक प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service