For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल..रात भर-बृजेश कुमार 'ब्रज'

मुतदारिक सालिम मुसम्मन बहर
212 212 212 212
आँख आँसू बहाती रही रात भर

दर्द का गीत गाती रही रात भर

आसमां के तले भाव जलते रहे
बेबसी खिलखिलाती रही रात भर

बाम पे चाँदनी थरथराने लगी
हर ख़ुशी चोट खाती रही रात भर

रूह के ज़ख्म भी आह भरने लगे
आरजू छटपटाती रही रात भर

प्यार की राह में लड़खड़ाये कदम
आशकी कसमसाती रही रात भर

आह भरते हुये राह तकते रहे
राह भी मुँह चिढ़ाती रही रात भर
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 1141

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 9, 2018 at 5:35pm

खूबसूरत सुझाव है आदरणीय लेकिन मैं सोच रहा हूँ एक शेर का लालच कम कर दिया जाये और मतले से उला और छठे शेर से सानी लेकर मतला कर दिया जाये..अर्थात "आँख आँसू बहाती रही रात भर,दर्द का गीत गाती रही भर" क्या उचित रहेगा?सादर

Comment by Samar kabeer on January 9, 2018 at 11:01am

'नाव इक साहिलों से बिछड़ते हुए'

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 9, 2018 at 12:37am

आदरणीय लक्षमण धामी जी सादर प्रणाम..

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 9, 2018 at 12:34am

आदरणीय समर सर आपकी टिप्पड़ी को ध्यान से न पढूं ये संभव नहीं है..बस जबाब में उल्लेख नहीं कर सका..कश्तियां बहुवचन हो रहा है जिससे काफ़िया मिल नहीं रहा है..आदरणीय शुक्रिया..प्रयास करता हूँ कुछ अच्छा बदलाव कर सकूँ..सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 9, 2018 at 12:31am

जी आदरणीय सुरेन्द्र जी कोशिश करता हूँ..आदरणीय सलीम जी ने एक खूबसूरत सुझाव दिया मैं भी कुछ प्रयास कर ही लेता हूँ..सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 9, 2018 at 12:29am

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय कालीपद मंडल जी..सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 9, 2018 at 12:28am

बहुत ही खूबसूरत ख्याल है आदरणीय सलीम जी..सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 9, 2018 at 12:27am

आदरणीय रामअवध जी सादर प्रणाम..अपने बिलकुल सत्य कहा शायद कभी न कभी कानों में पड़ा और फिर बिसार दिया हो..बिलकुल संभव है।मैं कुछ बदलाव की कोशिश करता हूँ..सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 8, 2018 at 10:52pm

हार्दिक बधाई ।

Comment by Samar kabeer on January 8, 2018 at 2:35pm

मतले ऊला मिसरा बदल दीजिये ।

मेरी टिप्पणी आपने ध्यान से नहीं पढ़ी,मतले के अलावा भी कुछ लिखा है?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंदः श्राद्ध पितृ-पक्ष आवश्यक है, उद्धार हेतु आत्मा I करें हुतात्मा के हित तर्पण, मिले उन्हें…"
13 minutes ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो

.तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो जो मुझ में नुमायाँ फ़क़त तू ही तू हो. . ये रौशन ज़मीरी अमल एक…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 171 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थित और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई श्यामनाराण जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"वाहहहहहह गुण पर केन्द्रित  उत्तम  दोहावली हुई है आदरणीय लक्ष्मण धामी जी । हार्दिक…"
Tuesday
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
Tuesday
Shyam Narain Verma commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - उस के नाम पे धोखे खाते रहते हो
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
Shyam Narain Verma commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर और ज्ञान वर्धक प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service