चेप्टर -1 - दोहे
निंदा को आतुर रहें, करें नहीं गुणगान
मैल हिया में देख के ,रूठ गए भगवान
मालिक कैसा हो गया , तेरा ये इंसान
बन्दे तेरे लूटता , बन कर वो भगवान
तेरा अजब संसार है,हर कोई बेहाल
हर मानव को यूँ लगे, जग जैसे जंजाल
संस्कार सब खो गए , बढ़ने लगी दरार
जनम जनम के प्यार का, टूट गया आधार
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आपकी और आ. नीरज जी की बात से मैं सहमत हूँ। आपका सुझाव बहुत ही बढ़िया है। और ये उचित भी लग रहा है। हार्दिक आभार। सर एक बात और मुझे संस्कार में मात्रा दोष में संशय हो रहा है। मैंने सर मैंने 'संस्कार ' की गणना ( सं २ +आधा स १ +का २ +र १ =6 )की थी क्या स्वरहीन व्यंजन पर अनुस्वार (.) के बाद आधे व्यंजन की मात्रा गौण हो जाती है ? अपने मार्गदर्शन से अनुग्रहित करें । आपके सहयोग का हार्दिक आभार।
आदरणीया Dr. (Mrs) Niraj Sharma जी दोहों पर आपकी उत्साहवर्धक प्रशंसा का हार्दिक आभार। तेरा अजब संसार है''में तो एक मात्रा की वृद्धि हो रही है इस ओर ध्यानाकर्षण के लिए हार्दिक आभार। लेकिन आदरणीया जी मुझे संस्कार में मात्रा दोष समझ नहीं आ रहा मैंने मैंने 'संस्कार ' की गणना ( सं २ +आधा स १ +का २ +र १ =6 )की थी क्या स्वरहीन व्यंजन पर अनुस्वार (.) के बाद आधे व्यंजन की मात्रा गौण हो जाती है ? अपने मार्गदर्शन से अनुग्रहित करें । हार्दिक आभार। आपके सुझाव का हार्दिक आभार।
आदरणीय vijay nikore जी दोहों पर आपकी उत्साहवर्धक प्रशंसा का हार्दिक आभार
आदरणीय shree suneel जी दोहों पर आपकी उत्साहवर्धक प्रशंसा का हार्दिक आभार
आदरणीय सुशील भाई , बढ़िया दोहा वली की रचना हुई है , आपको हार्द्क बधाई , आ. नीरज जी की बात से सहमत हूँ ,
तेरा अजब संसार है -- इस पद मे 14 मात्रा हो रही है -- अजब गज़ब दुनिया बनी , हर कोई बेहाल , किया जा सकता है
सुन्दर दोहों के लिए बधाई, आदरणीय सुशील जी।
तेरा अजब संसार है व संस्कार सब खो गए में मात्रा दोष है एक एक मात्रा की वृध्धि होती है , कुल मिला कर सुन्दर दोहे।
आदरणीय narendrasinh chauhan जी प्रस्तुति पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार।
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी प्रस्तुति पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार।
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