For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चेप्टर -1 - दोहे

चेप्टर -1 - दोहे

निंदा को आतुर रहें, करें नहीं गुणगान
मैल हिया में देख के ,रूठ गए भगवान

मालिक कैसा हो गया ,  तेरा ये इंसान
बन्दे तेरे लूटता , बन  कर वो भगवान


तेरा  अजब  संसार  है,हर  कोई  बेहाल
हर मानव को यूँ लगे, जग जैसे जंजाल


संस्कार  सब  खो गए ,  बढ़ने  लगी  दरार
जनम जनम के प्यार का, टूट गया आधार

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 709

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on July 6, 2015 at 11:33am

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आपकी और आ. नीरज जी की बात से मैं सहमत हूँ। आपका सुझाव बहुत ही बढ़िया है। और ये उचित भी लग रहा है। हार्दिक आभार। सर एक बात और मुझे संस्कार में मात्रा दोष में संशय हो रहा है। मैंने सर मैंने 'संस्कार ' की गणना ( सं २ +आधा स १ +का २ +र १ =6 )की थी क्या स्वरहीन व्यंजन पर अनुस्वार (.) के बाद आधे व्यंजन की मात्रा गौण हो जाती है ? अपने मार्गदर्शन से अनुग्रहित करें । आपके सहयोग का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on July 6, 2015 at 11:29am

आदरणीया   Dr. (Mrs) Niraj Sharma जी दोहों पर आपकी उत्साहवर्धक प्रशंसा का हार्दिक आभार।  तेरा अजब संसार है''में तो एक मात्रा की वृद्धि हो रही है इस ओर ध्यानाकर्षण के लिए हार्दिक आभार। लेकिन आदरणीया जी मुझे संस्कार में मात्रा  दोष समझ नहीं आ रहा मैंने मैंने 'संस्कार ' की गणना ( सं २ +आधा स १ +का २ +र १ =6 )की थी क्या स्वरहीन व्यंजन पर अनुस्वार (.) के बाद आधे व्यंजन की मात्रा गौण हो जाती है ? अपने मार्गदर्शन से अनुग्रहित करें । हार्दिक आभार। आपके सुझाव का हार्दिक आभार।  

Comment by Sushil Sarna on July 6, 2015 at 11:22am

आदरणीय vijay nikore   जी दोहों पर आपकी उत्साहवर्धक प्रशंसा का हार्दिक आभार  

Comment by Sushil Sarna on July 6, 2015 at 11:21am

आदरणीय  shree suneel  जी दोहों पर आपकी उत्साहवर्धक प्रशंसा का हार्दिक आभार  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 6, 2015 at 10:46am

आदरणीय सुशील भाई , बढ़िया दोहा वली की रचना हुई है , आपको हार्द्क बधाई ,  आ. नीरज  जी की बात से सहमत हूँ ,

तेरा  अजब  संसार  है   -- इस पद मे 14 मात्रा हो रही है   -- अजब गज़ब दुनिया बनी , हर  कोई  बेहाल   , किया जा सकता है

Comment by vijay nikore on July 6, 2015 at 2:55am

 सुन्दर दोहों के लिए बधाई, आदरणीय सुशील जी।

Comment by Dr. (Mrs) Niraj Sharma on July 5, 2015 at 1:08pm

तेरा अजब संसार है व संस्कार सब खो गए  में मात्रा दोष है एक एक मात्रा की वृध्धि होती है , कुल मिला कर सुन्दर दोहे।

Comment by shree suneel on July 4, 2015 at 9:07pm
तेरा अजब संसार है,हर कोई बेहाल
हर मानव को यूँ लगे, जग जैसे जंजाल..
आदरणीय सुशील सरना सर जी, अच्छे दोहे हैं. बधाई आपको.
Comment by Sushil Sarna on July 4, 2015 at 8:10pm

 आदरणीय    narendrasinh chauhan जी प्रस्तुति पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on July 4, 2015 at 8:10pm

 आदरणीय   मिथिलेश वामनकर जी प्रस्तुति पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service