For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चंद शे'र --- 1 ---डॉo विजय शंकर

अपने में ही खोये हुए से रहते हो
तुम्हें लोग कहाँ कहाँ ढूंढते रहते हैं ||

तुमको देखा इक हादसा हो गया ,
भला आदमी एक खुद से खो गया ।

लफ्जों को यूँ तौल तौल के बोलते हो
बच्चों से क्या कभी बात नहीं करते हो ||

लफ्जों को इतना महीन क्यों तौलते हो
बात करते हो या कारोबार करते हो ||

हमेशा दिमागी उधेड़बुन में रहते हो ,
दिल की बात कभी किसी से नहीं करते हो ॥

दिखाते हो दिल से कभी नहीं उलझे हो
बहकाते हो छलावा किस से करते हो ||

कहाँ खोये खोये से रहते हो
अपने आप में क्यों नहीं रहते हो ॥

मौलिक एवं अप्रकाशित
डॉo विजय शंकर

Views: 633

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 5, 2015 at 8:09pm
आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी, आपको रचना पसंद आई , आपकी प्रशस्ति के लिए आपका बहुत बहुत आभार ,बधाई हेतु धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on April 5, 2015 at 8:03pm
प्रिय कृष्ण मिश्रा जी, आपका बहुत बहुत आभार आपकी प्रशस्ति के लिए ,बधाई हेतु धन्यवाद , सादर।
Comment by Hari Prakash Dubey on April 5, 2015 at 7:37pm

लफ्जों को इतना महीन क्यों तौलते हो
बात करते हो या कारोबार करते हो ||.....गज़ब ,आदरणीय डॉ विजय शंकर सर , बहुत सुन्दर  रचना , हार्दिक बधाई  ! सादर 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 5, 2015 at 5:01pm

लफ्जों को यूँ तौल तौल के बोलते हो
बच्चों से क्या कभी बात नहीं करते हो || शानदार!
बधाई आदरणीय!

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 5, 2015 at 12:03am
आदरणीय उमेश कटारा जी , बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on April 5, 2015 at 12:02am
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , आपकी प्रशंसा बहुत बड़ी है , मेरी तो एक छोटी सी कशिश है , बहुत बहुत आभार , बधाई के किये भी आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by umesh katara on April 4, 2015 at 2:21pm

वाह वाह सर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 4, 2015 at 12:20pm

आदरनीय विजय भाई , सारे शे र बातों के लिहाज़ से बहुत सुन्दर बात कह रहे हैं , आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

लफ्जों को इतना महीन क्यों तौलते हो
बात करते हो या कारोबार करते हो ||  --- लाजवाब !! बधाई आदरणीय !!

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 4, 2015 at 6:15am
प्रिय मिथिलेश जी , आप तो स्थापित शायर हैं , आपने मेरी साधारण सी प्रस्तुति को पसंद किया , आपका बहुत बहुत आभार , बधाई के लिए धन्यवाद , सादर।
आपका सुझाव सादर स्वीकार्य है।
Comment by Dr. Vijai Shanker on April 4, 2015 at 6:09am
आदरणीय नीलेश शेवगॉवकर जी , आपने मेरी साधारण सी प्रस्तुति को पसंद किया ,उसके भावों की प्रसंशा की , आपका बहुत बहुत आभार , बधाई के लिए धन्यवाद , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
23 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service