212 / 212 / 212 / 212 / 212 / 212 / 212 / 212
-
चाँद से रूठ के जब गई चाँदनी, कुर्बतो-फासले याद आने लगे
जब हवा में नमी आज छाने लगी, दो नयन बावले याद आने लगे
वो अमरबेल तो पेड़ को खा रही, शाख के फूल से शबनमी जा रही
देखता ही रहा गौर से जो उसे, कुछ दबे मामले याद आने लगे
सच बताओं मुझे ये कहाँ है लिखा, आज क़ानून का मैं तलबगार हूँ
फिर अदालत कभी तो कभी मुफ़लिसों के रुके फैसले याद आने लगे
रात बाकी अभी बात बाकी अभी, दीप मत तीरगी से निभा दुश्मनी
रात ने टाल दी बात भी वो मगर दीप के हौसले याद आने लगे
दो परिन्दें जुदा आसमां के हुए, देख के एक तस्वीर छाने लगी
वो गली, वो सड़क, मोड़ के पेड़ पे शाम के मरहले याद आने लगे
है शिवालें कहीं तो कहीं मस्जिदें, कांपता दिल गली से निकलते हुए
यूं गुज़र के गए थे जो पिछले बरस, बेरहम जलजले याद आने लगे
भागती ज़िन्दगी में कभी दो घड़ी, देख के यूं सड़क पे जवाँ कारवां
मस्तियाँ, कान की बालियाँ देखते इस्कुली मनचले याद आने लगे
-------------------------------------------------------
(मौलिक व अप्रकाशित) - मिथिलेश वामनकर
-------------------------------------------------------
बह्र-ए-मुत्दारिक मुइज़ाफ़ी मुसम्मन सालिम (16 रुक्ऩी )
अर्कान – फाइलुन/फाइलुन/ फाइलुन/फाइलुन/ फाइलुन/फाइलुन/ फाइलुन/फाइलुन
वज़्न – 212 / 212 / 212 / 212 / 212 / 212 / 212 / 212
Comment
आदरणीय मिथिलेश भाई , एक कठिन बहर ( 16 रुक्नी ) निबाहने के लिये बधाई स्वीकार करें ।
मेरे खयाल से काफिया मे इता दोष आ रहा है , जिसके कारण शे र खारिज हो रहे हैं --
फासले --- अले
सिलसिले - इले
हर्फे रवी के पहले का स्व्रर मिलाना भी ज़रूरी होता है , यही दोष नीचे के अशआर मे भी दिख रहे हैं । जानकारों की प्रतिक्रिया का इंतिज़ार कीजियेगा , वैसे शायद इस दोष को इकवा दोष कहते हैं ।
रात बाकी अभी बात बाकी अभी, दीप मत तीरगी से निभा दुश्मनी
रात ने टाल दी बात भी वो मगर दीप के हौसले याद आने लगे i
वामनकर जी - क्या उम्दा गजल है i वाह i
lajabab
आदरणीय महोदय, ग़ज़ल अनुमोदित करने के लिए आभार धन्यवाद
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online