For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ दोहे आज के हालात पर (भाग - 2)

रट्टू तोते की तरह, क्यों रटते दिन रात

दादा जी का नाम भी, गूगल पर मिलि जात


त्रेता के सज्जन कहैं, सबके दाता राम
कलियुग के ढोंगी कहैं, हमरे आशाराम


दिन भर आगे सेठ के, डरि के दुम्म हिलायँ
साँझ ढले पव्वा लगै, अउर शेर हुइ जायँ


हफ्ते में तो चार दिन, काटैं मदिरा माँस
बाकी के कुल तीन दिन, धरम करम उपवास


अबला से सबला हुई, नाच नचावैं आज
बाबू जी की खोपड़ी, बजा रहीं ज्यों साज


गुरु से चेला बीस अब, देय रहा है ज्ञान
इंटरनेट से पाय के, गूगल का वरदान


सुना लॉटरी लग गयी, उमड़ पड़ा है प्यार
पैदा देखो हो रहे, रोजय रिश्तेदार


कालहिं आयी ब्याह के, आज अलग संसार
कुल को अब नहि मानती, ये कलजुगही नार


- विशाल चर्चित
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 851

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on May 5, 2014 at 2:43pm

सही कह्या सौरभ सर....लकिन कहा बा न कि.....जहाँ न पहुँचै रवि...हुआँ पहुँचैं कवि... तव एह हिसाब से हम सभे पुरान याद ताजा औ खयाली पोलाव तव पकाइन सकित है....कम से कम सोचिन के बहुत नीक लागत है अब तव... एक दायीं फिन से प्रणाम करत अही....एतनी अच्छी बात औ आशीष बरे !!!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 5, 2014 at 2:24pm

भइया विशाल..  बल्टी भर आम आ खोरिया भर जामुने के नाँव  आ बतिया सुने बदे ई कान तरसि गा अहै. .. . ना ऊ बीजू आम रहि गवा है आ ना ऊ बैंगनी रंगी डोभा-डोभा अस झरती जामुने रहि गईं हैं. बस नैनन मां सपना अब्बौ रहि-रहि हूक मारत रहिती है.

तब्बौ, एतना आदर बदे दिले से बोरा-झोरा भर असीस.. खूब मनगरे जीयऽ.. .

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on May 5, 2014 at 2:16pm

हहहहहह....

जरूर सौरभ सर, ई तोहार है घर
बल्टी भर आम औ जामुन खोरिया भर
अइसे खवाउब कि जिउ होय जाये तर
अब तनी हाथ धरा हमरे मूड़े पर
औ द्या आशीर्वाद कि लॉटरी जाय निकर  :)

आपको प्रणाम एवं हृदय से आभार !!!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 1, 2014 at 1:52am

अवधी भाषा से बघार पाये इन कड़कड़ाये दोहों के लिए हार्दिक धन्यवाद, विशाल चर्चित भाई.. बहुत खूब !

सुना लॉटरी लग गयी, उमड़ पड़ा है प्यार
पैदा देखो हो रहे, रोजय रिश्तेदार... .  ............   त का बिचार.. हमहूँ पहुँचें का .. ??

शुभ-शुभ

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on April 14, 2014 at 10:46pm

शुक्रिया विजय जी !!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on April 14, 2014 at 10:46pm

स्नेहिल सराहना हेतु आभार गिरिराज सर जी !!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on April 14, 2014 at 10:13pm

दिल से आपका शुक्रिया अखिलेश भाई जी !!!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on April 14, 2014 at 10:12pm

हां जितेन्द्र भाई.... वही सब देख कर तो सूझा..... हृदय से धन्यवाद भाई !!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on April 14, 2014 at 10:11pm

कुन्ती जी आभार !!!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on April 14, 2014 at 10:11pm

बहुत - बहुत शुक्रिया मीना जी !!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"अपने शब्दों से हौसला बढ़ाने के लिए आभार आदरणीय बृजेश जी           …"
1 hour ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहेदुश्मनी हम से हमारे यार भी करते रहे....वाह वाह आदरणीय नीलेश…"
2 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों के संघर्ष को चित्रित करती एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं…"
2 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए आपका आभार।    हरेक शेर…"
3 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय भंडारी जी बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है सादर बधाई। दूसरे शेर के ऊला को ऐसे कहें तो "समय की धार…"
3 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार। लॉगिन पासवर्ड भूल जाने के कारण इतनी…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
Saturday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service