For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

21122---21122---2112 

 

हाय मिली क्या खूब शराफत, तुम भी न बस

बात करो, हर बात शरारत, तुम भी न बस

 

हम को सताने यार गज़ब तरकीब चुनी 

देख हमें गैरों पे इनायत, तुम भी न बस

 

जब भी कहा- है प्यार भला क्या, कुछ तो कहो

लम्स की वो पुरजोर वकालत, तुम भी न बस

 

बात को समझो यूं भी न छेड़ो, हिज्र के गम

रोज़ करेंगे नैन बगावत, तुम भी न बस

 

नाम हमारे चाँद सितारे, कर भी तो दो 

दिल से लिखोगे आज वसीयत, तुम भी न बस

 

जी में जो आये जिद्द कभी तकरार कभी  

फिर से वही आदाब इबादत, तुम भी न बस

 

सिर्फ मुहब्बत सिर्फ मुहब्बत,  रात से दिन 

चुप तो रहो नासाज़ तबीयत, तुम भी न बस

 

लोग करेंगे बात, हिदायत  दी थी मगर

फिर से वही आँखों से हिमाकत, तुम भी न बस

 

बात घुमाकर रात करोगे, तुम तो मियां

जान चुके ‘मिथिलेश’ हकीकत, तुम भी न बस

 

------------------------------------------------------
(मौलिक व अप्रकाशित)  © मिथिलेश वामनकर 
----------------------------------------------------

 

(आ. वीनस भाई और आ. गिरिराज सर को समर्पित: उनकी ग़ज़ल की कठिन बह्र पर एक प्रयास)

Views: 1205

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 9, 2015 at 11:48pm

आदरणीय दिनेश भाई जी उस्तादी तो दूर रही अभी ठीक से अभ्यासी भी बन जाए तो बहुत है.

अभी तो लफ़्ज़ों को बह्र में बिठाना थोड़ा थोड़ा आया है ... ग़ज़ल और शेर कहना अभी बाकि है 

इस प्रयास पर उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आभार 

यहाँ इतना ही कहूँगा- तुम भी न बस 

सादर 

Comment by दिनेश कुमार on April 9, 2015 at 6:47pm
बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है भाई मिथिलेश जी। मुबारकबाद। हालांकि मैं इस बह्र पर ये सिर्फ़ दूसरी ही ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ। आप भी उस्ताद बन गए हो। वाह वाह

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 9, 2015 at 12:58am

आदरणीया राजेश दीदी, आपके कमाल कमाल कमाल से मुग्ध हो गया हूँ. ग़ज़ल के प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभारी हूँ. आपकी दाद मिलना मेरी लिए बड़ी बात है. हार्दिक धन्यवाद. नमन 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 9, 2015 at 12:56am

आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी इस प्रयास पर सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभारी हूँ. आप जैसे सुलझे हुए गज़लकार की दाद मिल गई तो संतोष हुआ है. हार्दिक धन्यवाद.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 9, 2015 at 12:54am

आदरणीय निर्मल भाई जी इस प्रयास पर सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभारी हूँ. आपकी दाद मिलना मेरी लिए बड़ी बात है. हार्दिक धन्यवाद.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 9, 2015 at 12:54am

आदरणीय शिज्जु भाई जी इस प्रयास पर सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभारी हूँ. आपकी दाद मिलना मेरी लिए बड़ी बात है. हार्दिक धन्यवाद.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 9, 2015 at 12:53am

आदरणीय गिरिराज सर, आपकी बात सही है. समझ भी गया हूँ ... सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 8, 2015 at 11:27pm

बहुत बढ़िया कमाल कमाल कमाल  ......इससे अधिक क्या लिखूँ 

ढेरों ढेरों दाद कबूलिये मिथिलेश भैया .

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 8, 2015 at 6:07pm

आदरणीय मिथिलेश जी ..गंभीर बहर को आपने बहुत ही बेहतरीन तरीके से प्रयोग किया है ..इस तुम भी न बस ..इसका तो जवाब ही नहीं ..आपके इस शानदार प्रयास पर हार्दिक शुभकामनाएं सादर 

Comment by Nazeel on April 8, 2015 at 2:51pm

आदरणीय मिथिलेश भाई जी  बहुत अच्छी  रचना के लिए हार्दिक बधाई ... आपकी रचनाओ से मुझ   जैसे नौसिखिये को बहुत  कुछ सीखने को मिलता है , अच्छी रचना के लिए एक बार फिर से  हार्दिक बधाई ॥ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
yesterday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service