For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तरही ग़ज़ल नंबर-3

फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
(मक़्ते में तक़ाबुल-ए-रदीफ़ को नज़र अंदाज़ कर दें)

रफ़्ता रफ़्ता सारी अफ़वाहें कहानी हो गईं
तल्ख़ियाँ इतनी बढ़ीं रेशा दवानी हो गईं

हिज्र की रातों में इतनी बार उनके ख़त पढ़े
याद मुझको सारी तहरीरें ज़बानी हो गईं

हाल वो देखा ग़ज़ल का आज यारो,शर्म से
'मीर'-ओ-'ग़ालिब' की भी रूहें पानी पानी हो गईं

क़ह्र को बाँधें क़हर वो और टोको तो कहें
शे'र कहने की ये तरकीबें पुरानी हो गईं

जानते हो ख़ूब यारो ओबीओ के मंच पर
जिसने सीखा उसकी ग़ज़लें जाविदानी हो गईं

ज़ह्नियत का है ये झगड़ा हिन्दी उर्दू का नहीं
छोड़िये अब ये "समर" बातें पुरानी हो गईं
________

रेशा दवानी :- फ़साद
तल्ख़ियाँ :- कड़वाहटें

--समर कबीर
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 1529

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on April 12, 2017 at 12:05am
बहना राजेश कुमारी जी आदाब,ग़ज़ल आपको पसंद आई,लिखना सार्थक हुवा,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ,ओबीओ ज़िंदाबाद ।
Comment by Samar kabeer on April 12, 2017 at 12:03am
जनाब बासुदेव अग्रवाल 'नमन' जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on April 11, 2017 at 11:58pm

जनाब निलेश "नूर" जी आदाब,कोई बात नहीं, मश्क़-ए-सुख़न के लिये बुज़ुर्गों ने ये तरीक़ा बताया था, उसी पर अमल कर रहा हूँ ।
ग़ज़ल आपको पसंद आई,लिखना सार्थक हुवा,दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।आपकी ज़हानत ने मुझे आपके बहुत क़रीब ला दिया है,ये मेरी ख़ुशनसीबी है कि ओबीओ पर मुझे आप जैसे साथी मिले । 

Comment by Samar kabeer on April 11, 2017 at 11:50pm
जनाब बैजनाथ शर्मा 'मिंटू' जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
Comment by Samar kabeer on April 11, 2017 at 11:48pm
जनाब सौरभ पाण्डेय साहिब आदाब,आपके कहे का अर्थ ख़ूब समझ रहा हूँ,मुझे मेरी पुरानी ग़ज़ल के तीन शैर याद आ गये, मुलाहिज़ा फ़रमाऐं :-

'तुझे बंदा उसे रब जानता हूँ
मैं इक फ़नकार हूँ,सब जानता हूँ'

'तबीअत में नहीं शुहरत पसंदी
वगरना सारे कर्तब जानता हूँ'

'समझ लेता हूँ अब तेरे इशारे
तिरे कहने का मतलब जानता हूँ'
Comment by Samar kabeer on April 11, 2017 at 11:37pm
जनाब सौरभ पाण्डेय जी आदाब,इस गंभीर प्रयास पर आपका ठहाका बड़ा मा'नी ख़ैज़ है ।
मैं जानता हूँ कि आपको मेरे अंदाज़ पर कितना मज़ा आ रहा होगा । आपको एक शैर पसंद आया,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on April 11, 2017 at 11:31pm
जनाब शिज्जु शकूर जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on April 11, 2017 at 11:31pm
जनाब गुरप्रीत सिंह जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on April 11, 2017 at 11:29pm
जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on April 11, 2017 at 11:29pm
जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service