For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मार्गदर्शिका (लघुकथा) / शेख़ शहज़ाद उस्मानी (44)

"हाँ दीदी , आपने जैसा समझाया था, वैसा ही कर रही हूँ। देवरानी, जिठानी और यहाँ तक कि मेरे पति देव जी को भी पता नहीं चल पाता कि मैं सास- ससुर की कब सेवा कर उनकी पसंद की चीज़ें कब उन्हें खिला देती हूँ । पूरी पकड़ हो गई है मेरी उन पर !" - छत पर बैठे हुए उमा ने कहा।

"बढ़िया है । देवरानी और जिठानी को उनकी नज़रों में चढ़ने मत देना । सास-ससुर को यही लगना चाहिए कि तुम ही सबसे अच्छी बहू हो । कोम्पीटीशन का ज़माना है !"

"जी दीदी, अब तो आलम ये है कि सास-ससुर मेरे पति तक की नहीं सुनते, मेरी ही हर बात मानते हैं। अब मैं जो कराना चाहूं करा सकती हूं उनसे !"

"ये हुई न बात ! पेन्शन, जेवरों और प्रोपर्टी का बेस्ट हिस्सा तुझे मिलना चाहिए बस !"

कुछ दिनों से घर के माहौल पर चुपके से कड़ी नज़र रख रहे सुदीप ने संयोग से पूरा वार्तालाप सुन लिया । पत्नी को नीचे बुलाकर उसने कहा -

"तो इसलिए आते हैं यहाँ तुम्हारे मायके वाले ?

"जैसे माँ-बाप, वैसा ही बेटा, छिप कर बातें सुन रहे थे !"

"जी नहीं ! मार्गदर्शन ले रहा था मुखौटों से !"

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 531

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 8, 2017 at 6:14am
रचना पटल पर समय देने हेतु सभी पाठकगण को तहे दिल से बहुत बहुत धन्यवाद।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 12, 2016 at 10:51am
स्नेहिल प्रोत्साहक समीक्षात्मक टिप्पणी करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया कान्ता राय जी।
Comment by kanta roy on December 22, 2015 at 1:25pm

आपका  यहां इस प्रस्तुति में  कुछ समेटकर लिखने में नया सा प्रयास हुआ है , तकनीकों के प्रति आपका  सचेतन होना तारीफ़ के काबिल है।  बधाई कबूल कीजिये आदरणीया शहज़ाद जी। 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 21, 2015 at 6:31pm
जी बिलकुल सही कहा है आपने। पूरी कोशिश करूँगा कि आप सभी की अपेक्षा अनुरूप कुछ नवीन रचनात्मक लेखन कर्म कर सकूँ । प्रोत्साहित करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 20, 2015 at 10:45pm

लघुकथा का तथ्य-कथ्य तो पुराना है, या कहिये, दसियों-बीसियों बार प्रयुक्त हो चुका है. लेकिन आपका प्रयास करना भला लगा है. विश्वास है, आने वाले दिनों में आपके कथ्य तथा उनके बिम्बों में नयापन भी दिखेगा. यहाँ नयापन से आशय इन्नोवेशन या क्रियेटिविटी से है. 

शुभेच्छाएँ. 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 20, 2015 at 6:53pm
ब्लोग पोस्ट पर उपस्थित हो कर प्रोत्साहित करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया जानकी बिष्ट वाही जी।
Comment by Janki wahie on December 20, 2015 at 6:32am
इन चेहर्रो की भी क्या कहेँ ।एक ज़बरदस्त कथा । मानव मन की बखिया। उधेड़ती । बधाई शहज़ाद जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Sunday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service