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आपने इस लघु कथा के माध्यम से आज के हर संवेदनशील मन की बात लिख दी समस्या की जड़ तो कहीं और है उसे सही करना होगा |
आपको दिल से बधाई इस बेहतरीन रचना के लिए आ० उस्मानी जी .
आ० भाई शेख शहज़ाद जी .इस झहिझोड़ती लागूकथा के लिए कोटि कोटि बधाई . काश ! स्त्री की जगह पुरुष अपनी सोच बदल पाता ....
बहुत ही नाज़ुक मसले पर आपने कलम उठाई है , अंधे क़ानून पे क्या कहें , सच में समस्या की जड़ कहीं और है , नाज़ुक विषय पर कसे शिल्प के साथ लिखी कथा पर पर हार्दिक बधाई आपको आदरणीय उस्मानी जी
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