सबसे पहले आपको नाथ नवाता शीश
यही याचना, आपका मिलता रहे आशीष
जीवन मे उत्थान दे मंगलमय नव-वर्ष
नए साल में छूइए नए-नए उत्कर्ष
शुभकामना स्वीकारिये मेरी भी श्रीमान
शुक्ल पक्ष के चाँद सी बढ़े आपकी शान
जैसे इस ब्रम्हांड का नही आदि ना अंत
वैसे ही श्रीमान को खुशियाँ मिलें अनंत
धन-सम्पत से युक्त हों लोभ-मोह से हीन
उनको भी उद्धारिये जो हैं दीन-मलीन
मौलिक एवं अप्रकाशित
आशीष यादव
Comment
जनाब बृजेश कुमार ब्रज जी आदाब, अच्छे दोहे रचे हैं आपने, हार्दिक बधाई।
'मिलता रहे आशीष' इस सम चरण में 11 के विपरीत 12 मात्राएं हैं,
'शुभकामना स्वीकारिये' इस विषम चरण में 13 के विपरीत 14 मात्राएं हैं, देखियेेगा।
आदरणीय श्री सौरभ पांडेय सर प्रणाम।
प्रत्येक रचना पर आपकी टिप्पणियों की प्रतीक्षा रहती है। आपका सुझाव माननीय है।
बहुत-बहुत धन्यवाद।
आदरणीय श्री बृजेश कुमार ब्रज जी बहुत-बहुत धन्यवाद।
नववर्ष की हारिक शुभकामनाएँ ..
इस छांदसिक प्रयास के लिए बधाइयाँ !
शुभकामना स्वीकारिये मेरी भी श्रीमान .. इस पद के विषम चरण पर ध्यान दीजिएगा.
दूसरे, ब्रह्माण्ड सही अक्षरी है.
शुभातिशुभ
बहुत ही सुंदर दोहे हुए आदरणीय यादव जी बधाई
आदरणीय श्री लक्ष्मण धामी मुसाफिर सर दोहों तक पहुंचने एवम् टिप्पणी देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। आपके लिए नववर्ष के मंगलमय की कामना करता हूं।
आ. भाई आशीष जी, नववर्ष पर सुन्दर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।
साथ ही नववर्ष की असीम हार्दिक शुभकामनाएँ।
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