For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कभी यूं भी-क्षणिकाएँ - 5 --- डॉo विजय शंकर

1. न कहीं जाना था
न जल्दी में थे हम
तुमने रोका नहीं
दूर हो गए हम………

2. जलने वाले
पीठ पीछे जलते हैं
जल के रौशनी भी
अपनों के लिए ही करते हैं ………

3. चले गये
मेरी जिंदगी से वो
किताबों के कमजोर कवर
जल्दी उत्तर जाते हैं
गुम हो जाते हैं ..............



4. अपनापन तो
कहीं भी होता है
वहां भी , जहां अपना
कोई भी नहीं होता है ………

5. ख़्वाब अधूरे नहीं ,
पूरे थे ,
अफ़सोस बस
पूरे हुए नहीं ..........

6. सब बुरे लगने लगें
आपके आगे
इतना अच्छा होना भी
अच्छा नहीं …………

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 557

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 6, 2015 at 8:59pm
आदरणीय श्याम मठपाल जी, आपकी इस प्रशस्ति हेतु आभार , आपकी बधाई के लिए भी धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on April 6, 2015 at 8:58pm
प्रिय मिथिलेश जी, आभार आपकी इस प्रशस्ति का , आपकी बधाई के लिए भी धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on April 6, 2015 at 8:57pm
आदरणीय निर्मल नदीम जी, बहुत बहुत आभार इस प्रशस्ति का , आपकी मुबारकबाद का भी धन्यवाद , सादर।
Comment by Shyam Mathpal on April 6, 2015 at 8:06pm

आदरणीय डॉ विजय शंकर ji,

सुंदर रचना.हार्दिक बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 6, 2015 at 4:32pm

ख़्वाब अधूरे नहीं ,
पूरे थे ,
अफ़सोस बस
पूरे हुए नहीं ..........बहुत सुन्दर 

आदरणीय डॉ विजय शंकर सर सुन्दर  प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई निवेदित है 

Comment by Nirmal Nadeem on April 6, 2015 at 1:06pm

BAHUT KHOOOB WAAAH WAAAH WAAAAH. BAHUT UMDA. KYA KAHNE JANAB. MUBARAK HO

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service