For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

करेगा तू क्या मिरी वकालत (ग़ज़ल)

बहरे मुतक़ारिब मुसम्मन मक़बूज़ अस्लम
121   22   121   22

फ़रेब-ओ-धोका है ये अदालत
करेगा तू क्या मिरी वकालत [1]

रसूल कितने ही आ चुके पर
गई न इंसान की जहालत [2]

सनम रिझाएँ ख़ुदा मनाएँ
है गू-मगू की ये अपनी हालत [3]

जो मुड़ गया राह-ए-इश्क़ से तो
रहेगी ता-उम्र फिर ख़जालत [4]

किसे फ़राग़त जो दे तवज्जो
दिखाइएगा किसे बसालत [5]

है मुख़्तसर मेरी गुफ़्तगू पर
है ग़ौर और फ़िक्र में तवालत [6]

वो जानते हैं कि उनका 'शाहिद'
गो मनचला पर है ख़ुश-ख़सालत [7]
(मौलिक व अप्रकाशित)
–––––––––––––––––––––
कुछ मुश्किल अलफ़ाज़ के म'आनी:
1. रसूल = पैग़म्बर
2. जहालत = अज्ञानता, मूर्खता
3. गू-मगू = दुविधा
4. ख़जालत = शर्मिंदगी, नदामत
5. फ़राग़त = काम से फ़ुर्सत, अवकाश
6. तवज्जो = ध्यान
7. बसालत = पराक्रम, नायक वाले गुण
8. मुख़्तसर = संक्षिप्त, छोटा
9. तवालत = लम्बाई
10. मनचला = मनमौजी
11. ख़ुश-ख़सालत = अच्छे स्वभाव का

Views: 591

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on June 6, 2020 at 10:50pm

आदरणीय रूपम कुमार 'मीत' साहिब, जी नहीं नहीं, मैं भी नौ-मश्क़ शाइर ही हूँ, इसलिए कई बार मुश्किल ज़मीनों की ओर खिंच जाता हूँ। ग़ज़ल तक आने के लिए और ज़र्रा-नवाज़ी के लिए आपका हार्दिक आभार!

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on March 14, 2020 at 8:11am

आदरणीय लक्ष्मण भाई, आदाब। ग़ज़ल पर उपस्थिति और प्रोत्साहन के लिए आपका हार्दिक आभार।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 12, 2020 at 12:20pm

आ. भाई रवि भसीन जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on March 12, 2020 at 9:44am

आदरणीय उस्ताद-ए-मुहतरम समर कबीर साहिब, सादर प्रणाम। आपकी हौसला-अफ़ज़ाई, रहबरी और इस्लाह के लिए आपका तह-ए-दिल से मशकूर-ओ-ममनून हूँ।

Comment by Samar kabeer on March 12, 2020 at 7:25am

जनाब रवि भसीन 'शाहिद' जी आदाब,ग़ज़ल बहुत अच्छी हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

मक़्ते के सानी मिसरे में 'ख़ुश ख़सालत' शब्द ग़लत है,सहीह शब्द है "ख़ुश ख़िसाल",'ख़िसाल' शब्द 'ख़सलत' का बहुवचन है,इसी तरह 'ख़साइल' शब्द भी 'ख़सलत' का बहुवचन है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service