For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बैठे निग़ाहें किस लिए नीची किये हुए (७२ )

(221 2121 1221 212 )

बैठे निग़ाहें किस लिए नीची किये हुए

क्या बात है बताइए क्यों लब सिले हुए

**

काकुल के पेच-ओ-ख़म के हैं अंदाज़ भी जुदा

सर से दुपट्टा जैसे बग़ावत किये हुए

**

मिज़गाँ के साहिलों पे टिकी आबजू-ए-अश्क

काजल बिखेरने की जूँ हसरत लिये हुए

**

क्यों हो गए हैं आपके रुख़्सार आतशीं

जैसे कनेर लाल ख़िज़ाँ में खिले हुए

**

शेरू को ख़ौफ़ इतना है बैठा दबा के दुम

मैना के सुर भी आज न लगते मिले हुए

**

देखा नहीं है आपको इस हाल में कभी

हम भी हुज़ूर सच कहें तो हैं डरे हुए

**

कहता है दास्तान ये बिखरा हुआ मकाँ

हालात इस से पहले न इतने बुरे हुए

**

आसार हैं कि आएगा इस घर में ज़लज़ला

होश-ओ-हवास अपने भी कुछ कुछ उड़े हुए

**

अपनी तो कुछ ख़ता नहीं है बोलिये 'तुरंत'

ख़ामोश रह के दूर भला कब गिले हुए

**

गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 453

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on March 25, 2020 at 10:56am

आपकी आनंदित करने वाली सराहना से मन तृप्त हुआ | सृजन सार्थक हुआ |सादर आभार  एवम नमन आदरणीय Samar kabeer साहेब | 

Comment by Samar kabeer on March 24, 2020 at 6:13pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on March 20, 2020 at 3:36pm

आदरणीय Dr Ashutosh Mishra जी , आपकी हौसला आफजाई के लिए दिली शुक्रिया | इन मंच पर अधिकांश लोग इन उर्दू शब्दों से परिचित हैं ,इसलिए अर्थ नहीं दिए | आपको किन शब्दों का अर्थ बताना है अंदाज़ा लगाना मुश्किल है | मैं अनुमान से अर्थ बता रहा हूँ ,काकुल=केश , मिज़गाँ=पलकें , आबजू-ए-अश्क=आंसुओं की नदी , आतशीं=आग युक्त , ज़लज़ला=भूकंप | 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 20, 2020 at 3:19pm

बढ़िया ग़ज़ल हार्दिक बधाई आपको । कुछ उर्दू के शब्द की जानकारी नहीं थी। आप बता दें पूरी बात समझ में आ जायेगी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
22 hours ago
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
yesterday
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service