For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कोरोनामय दोहे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

कोरोनामय जग हुआ, फीका पड़ा बसन्त
माँगे खुद की खैर अब, राजा, रंक, महन्त।१।
**
जन्मा चाहे चीन में, लाये अपने लोग
जिससे सारे देश में, फैल रहा यह रोग।२।
**
विकट घड़ी में आपदा, आयी सबके द्वार
घर के बाहर आ मगर, करो नहीं सत्कार।३।
**
घर में बैठो चन्द दिन, ढककर खिड़की द्वार
कोरोना पर  वार  को, यही सफल  हथियार।४।
**
आज चिकित्सक का कहा, थोड़ा मानव मान
घर  में  चुपके  बैठ  कर, होगा  रोग  निदान।५।
**
करो नमस्ते दूर से , नहीं मिलाओ हाथ
वरना झट से आएगा, कोरोना भी साथ।६।
**
सजग नागरिक बन करो, शासन का सहयोग
फिर  पहुँचेगा  अन्त  को,  यह  कोरोना  रोग।७।
**
कोरोना  के  अन्त  तक, रहें  भीड़  से  दूर
दिनभर जितना हो सके, तरल पियें भरपूर।८।
**
दूरी अपने - गैर से, रखने  का  औचित्य
जीवन तेरा जो बचा, खूब मिलेगा नित्य।९।
**
कोरोना से  भय  नहीं, जिन  लोगों  को यार
ज्ञानी उनको मत समझ, वो जग पर हैं भार।१०।
**
मौलिक-अप्रकाशित

Views: 403

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on March 28, 2020 at 3:22pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, कोरोना पर अच्छे दोहे लिखे आपने,बधाई स्वीकार करें ।

 द्वार
'घर के बाहर आ मगर, करो नहीं सत्कार'

इस पंक्ति में एक वचन,बहुवचन दोष देख लें ।

'कोरोना पर  वार  को, यही सफल  हथियार'

इस पंक्ति के विषम चरण में 'को' की जगह "का" शब्द उचित होगा ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 26, 2020 at 7:49pm

वाह शानदार भाई लक्ष्मणजी हार्दिक बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
yesterday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Sunday
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Jul 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Jul 3
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Jul 3

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service