For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अतुकांत कविता : निर्लज्ज (गणेश बाग़ी)

अतुकांत कविता : निर्लज्ज

=================

उसने कहा,
मेरे पास गाड़ी है, बंगला है
बैंक बैलेंस है
तुम्हारे पास क्या है ?

मैने कहा,
मेरे पास हैं...
फेसबुकिये दोस्त
जो नियमित भेजते रहते हैं
गुड मॉर्निंग, गुड इवनिंग,
गुड नाईट, स्वीट ड्रीम वाले संदेश

उसने कहा,
मूर्ख हो तुम
निपट अज्ञानी हो

मैंने कहा,
हाँ, हो सकता है मैं हूँ
किंतु...
सक्रिय हो जाती है छठी इंद्रीय
जब इनबॉक्स में
कोई आकर
बड़े प्यार से कहती है
हाय डियर !
और पूछती है
कैसे हो डियर ?

मुझे पता है
थोड़ी देर में ये
मांगेगी धन
क्योंकि
इतने प्यार से तो कभी मेरी घरवाली भी
नहीं पूछती हाल चाल
खैर...

मैं उसे उत्तर देता हूँ
हाय ! .. मैं ठीक हूँ,
किंतु पैसे-रुपओं के मामले में
तनिक कंजूस हूँ
आप कैसी है ?
पता नही क्यों
उधर से कोई
उत्तर ही नही आता

उसने पुनः कहा,
यार, तुम तो
अव्वल दर्जे के बेहया इंसान हो
तुममें संस्कार नाम की चीज है कि नहीं ?

मैंने कहा,
संस्कार का तो मुझे पता नही
बस एक ही चीज बची है मेरे पास
वह है संवेदना...
जब पूरा विश्व
खड़ा हो
मौत की दहलीज पर
नित्य हो रही हो गिनती
लाशों की
सुनाई दे रहे हों
विलाप के स्वर...

ऐसे में
मैं नहीं पीट सकता
ढ़ोल-नगाड़े,
मैं नही फोड़ सकता
बम-पटाखे

मैं तो बस
प्रज्ज्वलित कर सकता हूँ
एक दीया
उम्मीदों से भरा....

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 333

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on April 7, 2020 at 8:52am

हार्दिक बधाई आदरणीय गणेश जी बागी जी।सुंदर प्रस्तुति।

Comment by Samar kabeer on April 6, 2020 at 5:16pm

जनाब गणेश जी 'बाग़ी' साहिब आदाब,अच्छी अतुकांत कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

आपको ओबीओ की 10 वीं सालगिरह मुबारक हो, 1 अप्रेल को फ़ोन भी किया था लेकिन आपका मोबाइल बंद था ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
12 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जू भाई, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने. शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. सादर "
15 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकार करें. सादर "
17 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी, बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है. इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार…"
19 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय नीलेश भाई, क्या ही खूब ग़ज़ल कही है. वाह. शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. बाकी अभ्यास…"
21 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें. गुनीजनों की सलाह पर अवश्य…"
25 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"धन्यवाद आ. गुरप्रीत भाई. आपसे शिक़ायत यह है कि हमें आपकी ग़ज़लें पढ़ने को नहीं मिल रही…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. समर सर की इस्लाह से तक़ाबुल ए रदीफ़ दूर हो गया है.शेर अब यूँ पढ़ा जाए .कड़कना बर्क़ का चर्बा…"
2 hours ago
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"वाह वाह वाह आदरणीय निलेश सर, बहुत समय बाद आपकी अपने अंदाज़ वाली ग़ज़ल पढ़ने को मिली। सारी ग़ज़ल…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. लक्ष्मण जी,वैसे तो आ. तिलकराज सर ने विस्तार से बातें लिखीं हैं फिर भी मैं थोड़ी गुस्ताखी करना…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"शुक्रिया आदरणीय लक्ष्मण धामी जी"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"बहुत शुक्रिया आदरणीय तिलकराज कपूर जी, मैं सुधारने की कोशिश करता हूँ।"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service