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उसकी ये अदा आदत इन्कार पुराना है
बेचैन नहीं करता ये प्यार पुराना है ।
ये हुस्न नया पाया उसने है सताने को
ये जिस्म तमन्नाएं इसरार पुराना है ।
अब इसमें नया क्या है बातें हैं गई गुज़री
रद्दी है कबाड़ा है अख़बार पुराना है ।
आते हैं कई ग्राहक मंडी है अमीरों की
कहते हैं मगर इसको बाज़ार पुराना है ।
अब कोई दवा इसको आराम नहीं देती
ये शख़्स मुहब्बत का बीमार पुराना है ।
इक जंग अजब देखो कोविड ने चला रख्खी
ये रोग नया लेकिन उपचार पुराना है ।
कोई भी सलीक़े से अब रखता नहीं इसको
ये बाप बहुत बूढ़ा लाचार पुराना है ।।
मौलिक/अप्रकाशित.
Comment
आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।
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