लिव इन
सोनल और विकास शुरू से ही साथ पढ़े थे । दोनों में बहुत अच्छी दोस्ती थी । ये दोस्ती कब प्यार में बदल गयी किसी को पता ही नहीं चला । रिद्धिमा और मनोज भी इन दोनों के दोस्त थे । कॉलेज में ये चारो हमेशा साथ साथ रहते थे । पढ़ाई पूरी करने के बाद रिद्धिमा और मनोज ने शादी कर ली । दोनों की शादीशुदा ज़िंदगी बहुत खुशहाल थी । सोनल शुरू से ही आज़ाद ख्यालों वाली लड़की थी । उसे ज़िम्मेदरियों में बंधकर रहना बिलकुल पसंद नहीं था। संयोगवश सोनल और विकास को मुंबई में नौकरी मिल गई। अब विकास के घर वाले भी उससे शादी के बारे में कहने लगे। विकास जब भी सोनल से शादी के बारे में बात करता वो हमेशा उसे मॉडर्न बनने को कह देती। आखिरकार दोनों लिव इन में रहने लगे। दोनों अपनी इस छोटी सी दुनिया में बहुत खुश थे। एक दो साल तो दोनों बहुत खुश थे , परन्तु धीरे धीरे उन्हें अपनी ज़िंदगी नीरस सी लगने लगी। उधर मनोज और रिद्धिमा के दो बच्चे थे।ये दोनों उनके घर जाते तो उनका भरा पूरा परिवार देखकर बहुत खुश होते। सोनल उनके बच्चों के साथ खूब खेलती। कई बार तो वो वहां रात को भी रुक जाती। अब उसे भी ये लगने लगा की उनके घर भी बच्चों की किलकारी गूंजे , जिससे उनकी नीरस ज़िंदगी में भी बहार आ जाए। जब उसने इस बारे में विकास से बात की तो उसने साफ़ मना कर दिया । उसने कहा कि " मै अपने माता-पिता के खिलाफ नहीं जा सकता ।" इसी बात को लेकर दोनों में तना - तनी रहने लगी । दोनों अब अलग - अलग रहने लगे। इधर विकास की मां उसपर शादी के लिए दबाव डालने लगी क्योंकि अब विकास के सभी भाई बहनों की शादी हो चुकी थी । एक दिन अचानक विकास के घर से फोन आया कि उसकी मां की तबीयत बहुत खराब है ।
विकास अपनी माँ को देखने अपने घर आ गया । "बेटा आ गया तू " उसे देखते ही उसकी मां भावुक
होकर बोली और रोने लगी " इस बार तेरी शादी किए बिना तुझे मुम्बई नही जाने दूंगी " माँ अपना नकली गुस्सा दिखाते हुए बोली। " ठीक है माँ ! पहले आप ठीक हो जाओ , उसके बाद जैसा आप कहोगे मैं वैसा ही करुंगा। " ये सुनते ही माँ की जान में जान आ गई ।
अब तो विकास को पक्का पता था कि उसे शादी करनी ही पड़ेगी । इसके सिवा और कोई चारा भी तो नहीं था । अब विकास ने सोचा कि " एक बार सोनल से बात करता हूँ
। " विकास ने सोनल को फोन किया और कहा कि " मुझसे शादी करोगी ? " ये बात सुनते ही सोनल बहुत भावुक हो गई , क्योंकि वो अब खुद भी यही चाहती थी। वो अब तक थक चुकी थी अकेले रहते रहते । उसने शादी के लिए हां कर दी ।
दोनों के परिवार एक दूसरे को जानते थे सो उन्होंने दोनों की शादी करवा दी । घर में खुशी का माहौल था और सोनल ने आज पहली रसोई बनाई थी। सभी एक साथ खाना खा रहे थे । विकास के घर के सभी सदस्यों में बहुत उत्साह था । " मामी को मैं खिलाउंगी" एक बच्ची बोली तभी दूसरे बच्चे ने कहा कि नहीं " चाचीजी तो मेरे हाथ से खाएंगी " तभी सोनल की ननद कहती हैं कि " भाभी को तंग मत करो ।" विकास की मां ने उसे अपने कुछ पुश्तैनी गहने दिये और कहा "बहू इसे कल मुहं दिखाई के वक्त पहनना"ये सब देख सोनल ने विकास से कहा कि " मुझे माफ कर दो , मैं कितनी मूर्ख थी जो पाश्चात्य संस्कृति के पीछे भाग रही थी और विवाह जैसे पवित्र बंधन को बोझ समझ रही थी , अगर हम शादी ना करते तो मैं इन प्यारे रिश्तों को कभी भी समझ नहीं पाती "ये सब बातें करते हुए उसकी आंखे भर आईं । तब विकास ने कहा "देर आए दुरुस्त आए " और दोनों हंस पड़े ।
मौलिक व अप्रकाशित।
Comment
आदरणीया Madhu Passi 'महक' साहिबा, नमस्कार। ओबीओ के मंच पर आपका बहुत स्वागत है। आपकी इस पहली प्रस्तुति पर आपको हार्दिक बधाई, आपकी लघुकथा बहुत रोचक और अर्थपूर्ण लगी। शुभकामनाओं सहित सादर
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