अकेलेपन को भी हमने किया चौपाल के जैसा
बचा लेगा दुखों में ये हमें फिर ढाल के जैसा।१।
**
भले ही दुश्मनी कितनी मगर आशीष हम देते
कभी दुश्मन न देखे बीसवें इस साल के जैसा।२।
**
इसी से है जगतभर में हरापन जो भी दिखता है
हमारे मन का सागर ये न सूखे ताल के जैसा।३।
**
सितारे अपने भी जगमग न कमतर चाँद से होते
अगर ये भाग्य भी होता चमकते भाल के जैसा।४।
**
सितारे लौंग से कमतर नयन मृग से भी अच्छे हैं
हमें तो चाँद भी लगता तुम्हारे गाल के जैसा।५।
**
हुए जाते दिनोंदिन हम किसी कातर हिरन से यूँ
समय होने लगा है व्याध डाले जाल के जैसा।६।
मौलिक-अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
Comment
आ. भाई समर कबीर जी, सादर अभिवादन । गजल पर अपकी उपस्थिति से लेखन सफल हुआ । मार्गदर्शन के लिए आभार ।
"के जैसा" के स्थान पर "जैसा ही" करना क्या उचित रहेगा , मार्गदर्शन करें । सादर आभार..
जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।
रदीफ़ "के जैसा" में 'के' शब्द भर्ती का है ग़ौर करें ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online