For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कब तक  - लघुकथा –

कब तक  - लघुकथा –

"अम्मा, ये सारी टोका टोकी, रोकथाम केवल मेरे लिये ही क्यों है?"

"यह सब तेरी भलाई के लिये ही है बिटिया।"

"क्या अम्मा?, मेरी भलाई के अलावा कभी भैया के बारे में भी सोच लिया करो।"

"अरे उसका क्या सोचना? मर्द मानुष है, जैसा भी है सब चल जायेगा।"

"इसलिये उसके किसी काम में रोकटोक नहीं।रात को बारह बजे आये तो भी चलेगा।और मैं दिन में भी अकेली कहीं नहीं जा सकती।"

“तू समझती क्यों नहीं मेरी बच्ची?"

"क्या समझूं अम्मा? भैया बारहवीं में तीन साल से फेल हो रहा है लेकिन उसकी पढ़ाई चालू है। मैंने दसवीं में प्रथम श्रेणी में अस्सी प्रतिशत अंक पाये फिर भी मेरी पढ़ाई छुड़ा दी।"

"अरे तू भी क्या क्या सोचती रहती है। तुझे पराये घर जाना है। चूल्हा चौका संभालना है। क्या करेगी ज्यादा पढ़ लिख कर?"

"क्यों ज्यादा पढ़ी लिखी चूल्हा चौका करना भूल जाती हैं क्या?"

"क्यों बात का बतंगड़ बना रही है बिटिया? तू खुद ही सोच यहाँ का माहौल कैसा है।दिन दहाड़े छोरियों को उठा ले जाते हैं।“

"यह सब तो घर बैठी लड़कियों के साथ भी हो रहा है।"

"इसीलिये तो सावधानी बरत रहे हैं।"

"पर ये जो कुकर्म करते हैं उन लड़कों पर बंदिश क्यों नहीं लगाते।"

"बिटिया रानी, लड़कियाँ काँच की मूर्ति होती हैं। जरा सी खरोंच भी लग जाय तो जीवन बेकार हो जाता है।"

“बस करो अम्मा, कब तक ये दलीलों की तसल्ली दोगी।इनसे कुछ नहीं बदलने वाला। अब वक्त आ गया है कि मुझे ही पत्थर बनने दो”

मौलिक, अप्रकाशित एवम अप्रसारित

Views: 722

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Chetan Prakash on December 11, 2020 at 9:11pm

आदरणीय भाई, योगराज प्रभाकर, सप्रेम वन्दे ! आदरणीय भाई, श्री तेजवीर सिंह की लघु कथा, "कब तक" के संदर्भ में आपका वक्तव्य मैंने पढा़ । बंधुवर, मैंने जो कहा, वह किसी व्यक्ति विशेष के प्रति दुर्भावना से प्रेरित होकर नहीं कहा। और, न ही मंच विशेष के प्रति कोई बुरी नीयत से कुछ कह ! ।आप मेरी टिप्पणी को कृपया पुनः पढ़े। वस्तुस्थिति यह है कि मैंने लघु कथा पर केन्द्रित रहते हुए अपने अ्ध्ययन, मनन और लेखकीय अनुभव के आधार पर सामान्य बात कही थी । बात किन्हीं लोगों को बुरी लग सकती थी, अतः अप्रिय टिप्पणी हेतु आदरणीय भाई
श्री तेजवीर सिंह जी से क्षमायाचना करते हुए अपना मत व्यक्त, इस स्वीकार के कि मुझे इस बात का दुःख है कि संयोगवश यह सामान्य बात मै उनसे कर रहा हूँ, किया था ।सो, स्पष्ट है, वरिष्ठकार के रूप में पहले ही मेरी समझ से वे सम्मानित हस्ताक्षर हैं । आदरणीय भाई, इस विषय मे आपका आक्रोश मुझे उचित नहीं जान पड़ा। साभार !


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on December 11, 2020 at 4:50pm
प्रो० चेतन प्रकाश जी, इस पटल पर सभी को अपनी बात कहने का अधिकार है, लेकिन कुछेक अघोषित सीमायों को ध्यान रखते हुए. आ० श्री तेजवीर सिंह जी की रचना पर दी गई आपकी टिप्पणी की भाषा से मुझे सख़्त आपत्ति है.
.
//लघु कथा तथ्यात्मक विधा है// यह आपसे किसने कह दिया लघुकथा गल्प-साहित्य नहीं है? निरोल तथ्यात्मक तो केवल रिपोर्टिंग हो सकती है.
.
///यहाँ अधिकतर साथियों को लघुकथा के स्वरूप का सही ज्ञान ही नहीं है।// यह बेहद आपत्तिजनक स्टेटमेंट है. इस तरह मंच पर किसी का अपमान करने का किसी को अधिकार नहीं है. और फिर आप दूसरो की समझ पर तो किंतु कर रहे हैं लेकिन ख़ुद आप 'लघुकथा' को 'लघु कथा' लिख रहे हैं. आपसे निवेदन है कि भविष्य में ऐसी 'फुकराना' और अनर्गल टिप्पणी से गुरेज़ करें. 
Comment by TEJ VEER SINGH on December 11, 2020 at 2:43pm

हार्दिक आभार आदरणीय चेतन प्रकाश जी।आपने मेरी लघुकथा पर टिप्पणी की। बहुत सुखद आश्चर्य हुआ।हालांकि आपको मेरी लघुकथा पसंद नहीं आई। आप एक उच्च कोटि के साहित्यकार हैं।आपकी अपेक्षाओं पर खरा उतरने की क्षमता और काबिलियत अभी मुझमें नहीं है। मैं तो इस विधा का एक अदना सा क्षात्र हूँ।अभी केवल प्रशिक्षण ले रहा हूँ।मेरे प्रति व्यक्त की गई आपकी भावनाओं और विचारों का हृदय तल से सम्मान करता हूँ।भविष्य में भी आप अपनी कृपा इसी प्रकार बनाये रखेंगे।

Comment by Chetan Prakash on December 10, 2020 at 10:23am

नमस्कार , Shri TEJVIR SINGH ji,क्षमा करे, लघु कथा तथ्यात्मक विधा है, गल्प साहित्य नहीं। कदाचित यहाँ अधिकतर साथियों को लघुकथा के स्वरूप का
सही ज्ञान ही नहीं है। और, दुःख की बात है कि संयोगवश यह अप्रिय बात आपकी लघु-कथा के संदर्भ मे कहने को विवश हूँ । पुनः क्षमा याचना के साथ,

Comment by TEJ VEER SINGH on December 1, 2020 at 10:02am

हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर साहब जी।आदाब।

Comment by TEJ VEER SINGH on December 1, 2020 at 10:01am

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी जी।

Comment by Samar kabeer on November 30, 2020 at 5:43pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब, अच्छी लघुकथा हुई है, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 30, 2020 at 2:45am

सादर नमस्कार। समय अनुसार आत्मविश्वास से आत्मसुरक्षा सीखने का सबक़ देती बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह जी। पुरानी दलीलें अपडेटिड करनी होंगीं। मानसिकता कमज़ोर नहीं सशक्त व चुनौतियों से संघर्ष करने वाली बनानी होगी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी  वाह !! सुंदर सरल सुझाव "
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी सादर अभिवादन बहुत धन्यवाद आपका आपने समय दिया आपने जिन त्रुटियों को…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी सादर. प्रदत्त चित्र पर आपने सरसी छंद रचने का सुन्दर प्रयास किया है. कुछ…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार घुसपैठ की ज्वलंत समस्या पर आपने अपने…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
""जोड़-तोड़कर बनवा लेते, सारे परिचय-पत्र".......इस तरह कर लें तो बेहतर होगा आदरणीय अखिलेश…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"    सरसी छंद * हाथों वोटर कार्ड लिए हैं, लम्बी लगा कतार। खड़े हुए  मतदाता सारे, चुनने…"
3 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी हार्दिक आभार धन्यवाद , उचित सुझाव एवं सरसी छंद की प्रशंसा के लिए। १.... व्याकरण…"
4 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द लोकतंत्र के रक्षक हम ही, देते हरदम वोट नेता ससुर की इक उधेड़बुन, कब हो लूट खसोट हम ना…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
22 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service