एक प्रश्न
अन्नदाता क्यूँ रोड़ पड़ा
निजीकरण का दौर बढ़ा
कोरोना की स्थिति विकट है
हर नागरिक क्यूँ मजबूर बड़ा||
नयें नियमों की अदला-बदली
भारत परिवर्तन की ओर बढ़ा
भविष्य का तो पता नहीं
पर आज बेरोजगारी का मुद्दा बड़ा ||
छोटे से लेकर बड़े व्यापारी तक
हर जन में क्यों आक्रोश बढ़ा
युवा रोजगार को तरस रहे
आज, आंदोलनों का क्यूँ शोर बड़ा ||
चकनाचूर है आर्थिक व्यवस्था
द्वेष भाव भी खूब बढ़ा
सौहार्द, सहभागिता की बात ना पूछो
आज हर वर्ग में क्यूँ भेद बड़ा ||
कहाँ कमी कुछ समझ ना आता
बैठकों में क्यूँ विचार-विमर्श का दौर बढ़ा
धार्मिक, राजनैतिक या सामाजिक कारण
आज प्रश्न ये सबसे बड़ा ||
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आ. भाई फूल सिंह जी, अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।
जनाब फूल सिंह जी आदाब, अच्छी रचना हुई, बधाई स्वीकार करें ।
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