For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सत्तर बरस में बचपना इसका गया नहीं-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

221, 2121, 1221, 212

तैराक खुद को जाँचने पानी में आयेगा
तब ही नया सा मोड़ कहानी में आयेगा।१।
*
तुमको सफर मिला भी तो रस्ता बुहार के
रोड़ा न अब  के  कोई  रवानी  में आयेगा।२।
*
सत्तर बरस में बचपना इसका गया नहीं
कब देश अपना यार  जवानी में आयेगा।३।
*
सोने की चिड़िया फिर से कहायेगा देश ये
जब दौर सुनहरा  सा  किसानी में आयेगा।४।
*
देती रही है खूब ये किस्मत उछाल कर
दाना तू देख कौन  सी धानी में आयेगा।५।
*
किसने पते की बात ये बोली है बीच में
राजा हमारा सुन  के  हैरानी में आयेगा।६।
*
मुट्ठी  अनाज  बाँट  के  चूसे  है  रक्त  नित
फिर भी ये नेता आज का दानी में आयेगा।७।


(१५-६-२१)

मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 510

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 4, 2021 at 6:10pm

जी, ठीक है..

Comment by Samar kabeer on June 22, 2021 at 4:12pm

'फिर भी ये नेता आज का दानी में आयेगा'
(पर कर्ण जैसा नाम तो दानी में आयेगा)//

इसे छोड़कर बाक़ी बदलाव ठीक हैं, 'दानी' क़ाफ़िया रदीफ़ से मेल नहीं खायेगा,इस शैर को हटाना उचित होगा ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 22, 2021 at 12:39pm

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, सराहना व मार्गदर्शन के लिए आभार । इंगित मिसरों को बदलने का प्रयास किया है । देखियेगा...
//रस्ता सफर का तुमको दिया है बुहार कर
रोड़ा न अब  के  कोई  रवानी  में आयेगा'//
//
सोने की चिड़िया फिर से यही देश होगा यूँ
स्वर्णिम कभी जो दौर किसानी में आयेगा'//

//'राजा हमारा और भी हैरान होगा तब
जब सत्य खुल के उसका बयानी आयेगा

//

'फिर भी ये नेता आज का दानी में आयेगा'
(पर कर्ण जैसा नाम तो दानी में आयेगा)
आपको इस कर कोई बेहतर सूझे तो मार्गदर्शन करें।सादर..

Comment by Samar kabeer on June 21, 2021 at 6:23pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

'तुमको सफर मिला भी तो रस्ता बुहार के
रोड़ा न अब  के  कोई  रवानी  में आयेगा'

इस शैर के ऊला का वाक्य विन्यास ठीक नहीं,दुरुस्त करने का प्रयास करें ।

'सोने की चिड़िया फिर से कहायेगा देश ये
जब दौर सुनहरा  सा  किसानी में आयेगा'

इस शैर के ऊला में 'कहायेगा' शब्द उचित नहीं,और सानी मिसरे में 'सुनहरा' शब्द का वज़्न 122 है,देखियेगा ।

'राजा हमारा सुन  के  हैरानी में आयेगा'

इस मिसरे में 'हैरानी' शब्द  में 'है' की मात्रा गिराना उचित नहीं है,देखियेगा ।

'फिर भी ये नेता आज का दानी में आयेगा'

इस मिसरे में 'दानी में आयेगा' वाक्य विन्यास उचित नहीं,ग़ौर करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
Sunday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service