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सत्तर बरस में बचपना इसका गया नहीं-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

221, 2121, 1221, 212

तैराक खुद को जाँचने पानी में आयेगा
तब ही नया सा मोड़ कहानी में आयेगा।१।
*
तुमको सफर मिला भी तो रस्ता बुहार के
रोड़ा न अब  के  कोई  रवानी  में आयेगा।२।
*
सत्तर बरस में बचपना इसका गया नहीं
कब देश अपना यार  जवानी में आयेगा।३।
*
सोने की चिड़िया फिर से कहायेगा देश ये
जब दौर सुनहरा  सा  किसानी में आयेगा।४।
*
देती रही है खूब ये किस्मत उछाल कर
दाना तू देख कौन  सी धानी में आयेगा।५।
*
किसने पते की बात ये बोली है बीच में
राजा हमारा सुन  के  हैरानी में आयेगा।६।
*
मुट्ठी  अनाज  बाँट  के  चूसे  है  रक्त  नित
फिर भी ये नेता आज का दानी में आयेगा।७।


(१५-६-२१)

मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

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Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 4, 2021 at 6:10pm

जी, ठीक है..

Comment by Samar kabeer on June 22, 2021 at 4:12pm

'फिर भी ये नेता आज का दानी में आयेगा'
(पर कर्ण जैसा नाम तो दानी में आयेगा)//

इसे छोड़कर बाक़ी बदलाव ठीक हैं, 'दानी' क़ाफ़िया रदीफ़ से मेल नहीं खायेगा,इस शैर को हटाना उचित होगा ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 22, 2021 at 12:39pm

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, सराहना व मार्गदर्शन के लिए आभार । इंगित मिसरों को बदलने का प्रयास किया है । देखियेगा...
//रस्ता सफर का तुमको दिया है बुहार कर
रोड़ा न अब  के  कोई  रवानी  में आयेगा'//
//
सोने की चिड़िया फिर से यही देश होगा यूँ
स्वर्णिम कभी जो दौर किसानी में आयेगा'//

//'राजा हमारा और भी हैरान होगा तब
जब सत्य खुल के उसका बयानी आयेगा

//

'फिर भी ये नेता आज का दानी में आयेगा'
(पर कर्ण जैसा नाम तो दानी में आयेगा)
आपको इस कर कोई बेहतर सूझे तो मार्गदर्शन करें।सादर..

Comment by Samar kabeer on June 21, 2021 at 6:23pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

'तुमको सफर मिला भी तो रस्ता बुहार के
रोड़ा न अब  के  कोई  रवानी  में आयेगा'

इस शैर के ऊला का वाक्य विन्यास ठीक नहीं,दुरुस्त करने का प्रयास करें ।

'सोने की चिड़िया फिर से कहायेगा देश ये
जब दौर सुनहरा  सा  किसानी में आयेगा'

इस शैर के ऊला में 'कहायेगा' शब्द उचित नहीं,और सानी मिसरे में 'सुनहरा' शब्द का वज़्न 122 है,देखियेगा ।

'राजा हमारा सुन  के  हैरानी में आयेगा'

इस मिसरे में 'हैरानी' शब्द  में 'है' की मात्रा गिराना उचित नहीं है,देखियेगा ।

'फिर भी ये नेता आज का दानी में आयेगा'

इस मिसरे में 'दानी में आयेगा' वाक्य विन्यास उचित नहीं,ग़ौर करें ।

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