For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रात भर - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' (गजल)

२२१/२१२१/१२२१/२१२

आँखों में नींद ला के जगाती है रात भर
पाकर अकेला याद जो आती है रात भर।१।
*
कैसे हो चैन देह को मन को सुकून तब
शोलों सी चाँदनी ये जलाती है रात भर।२।
*
होने लगी है जुल्फ जो उसकी सफेद यूँ
आँखों के आँसुओं से नहाती है रात भर।३।
*
बजती हवा से दूर जो मंदिर की घन्टियाँ
आवाज दे के लगता बुलाती है रात भर।४।
*
आता है याद माँ का वो दामन हमें बहुत
जब रात सर्दियों  की सताती है रात भर।५।
*
कहते हैं लोग ओस है लेकिन हमें पता
साकी गगन से जाम गिराती है रात भर।६।
*
लगता है केश खोल के विरहन खड़ी कोई
खुशबू हवा में घुल के जो आती है रात भर।७।

(२३-५-२१)
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 515

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on July 17, 2021 at 4:01pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

'बजती हवा से दूर जो मंदिर की घन्टियाँ'

इस मिसरे में 'बजती' को "बजतीं" कर लें ।

'साकी गगन से जाम गिराती है रात भर'

इस मिसरे में 'साक़ी' शब्द पुल्लिंग है, देखियेगा ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 12, 2021 at 7:42pm

आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन एवं धन्यवाद। है छूट गया है सादर...

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 12, 2021 at 7:40pm

आ. भाई मनोज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, सराहना और टंकण त्रुटियों की ओर ध्यान दिलाने के लिए आभार ।

सुधार कर लिया है । देखिएगा।

Comment by Chetan Prakash on July 12, 2021 at 4:13pm

आदाब, भाई, मुसाफिर ! शैर न0. 6 रदीफ देखें, मान्यवर !

Comment by मनोज अहसास on July 12, 2021 at 4:11pm

अच्छी ग़ज़ल हुई है मुसाफिर जी

कुछ टंकण त्रुटियां हैं  उनकी ओर ध्यान दीजिए

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
5 hours ago
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service