सनातन धर्म का गौरव सहज त्योहार है राखी
समेटे प्यार का खुद में अजब संसार है राखी।१।
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हैं केवल रेशमी धागे न भूले से भी कह देना
लिए भाई बहन के हित स्वयं में प्यार है राखी।२।
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पुरोहित देवता भगवन सभी इस को मनाते हैं
पुरातन सभ्यता की इक मुखर उद्गार है राखी।३।
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बुआ चाची ननद भाभी सखी मामी बहू बेटी
सभी मजबूत रिश्तों का गहन आधार है राखी।४।
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न जाने कितने ही रिश्ते इसी दिन आन मिलते हैं
कहें तो सब कुटुम्बों के मिलन का द्वार है राखी।५।
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सजाती है बहन थाली जो राखी और रोली से
लिए आशीष लम्बी उम्र का उपहार है राखी।६।
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बड़ी हो उम्र भाई की रहे भगिनी सुरक्षा में
दिलों की भावनाओं का सही में सार है राखी।७।
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बिछड़ती है बहन भाई से गर ससुराल जाकर तो
कठिन बरसात के मौसम मिलन विस्तार है राखी।८।
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कठिन हालात दूरी बन भले ही राह रोकें पर
किसी भी हाल में आना सहज मनुहार है राखी।९।
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गरीबी, दूरियों के दुख हैं लाते रिश्तों में सूखा
पड़ी खुशियों की सावन में कहें बौछार है राखी।१०।
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मगर बाजार की संगत हुई है जब से इसकी तो
बहन भाई के कन्धों पर कसम से भार है राखी।११।
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मौलिक.अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
Comment
बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है, आदाब भाई लक्ष्मण सिंह मुसाफिर । भारतीय संस्कारों से रची बसी, भाई-बहन के सात्विक रिश्तों की खुशबू और ग़म ए दौरा का सुन्दर गुलदस्ता है, आपकी ग़ज़ल ! बधाई स्वीकार करें ! शे'र न0.10 दूरियाँ के बजाय दूरियों हो जाए तो सोने पर सुहागा !
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