जय भारत के लोगों की
जय भारत देश महान की
जय जय जय गणतंत्र दिवस की
जय जय संविधान की
जय जय जय जय हिंद
अपनी धुनें बनाई हमने अपना राग बनाया था
जिसमें समता, न्याय, आजादी का संकल्प समाया था
एक अखंडित राष्ट्र के लिए गरिमा भाईचारा से
हमने अपने गीत लिखे थे हमने खुद को गाया था
जय लिक्खी संप्रभुता की जय लोकतंत्र कल्याण की
जय जय जय गणतंत्र दिवस की
जय जय संविधान की
जय जय जय जय हिंद
सूत कातते वंदे मातरम जन-गण-मन ने गाया था
नेक विचारों के करघे ने सुंदर वस्त्र बनाया था
हीरों जैसे अनुच्छेद मोती सी अनुसूचियाँ जड़ित
स्वतंत्रता दुल्हन को हमने संविधान पहनाया था
चारों तरफ रोशनी फैली संविधान परिधान की
जय जय जय गणतंत्र दिवस की
जय जय संविधान की
जय जय जय जय हिंद
आशीष आशीष
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
जय हो जय हो..क्या सुंदर सृजन है...बधाई
आ. भाई आशीष जी, अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।
जय जय जय गणतंत्र दिवस की
जय जय संविधान की
जय जय जय जय हिंद जनाब आशीष यादव जी आदाब, सुंदर भावों से सुसज्जित रचना एवं गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाईयाँ। सादर।
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