क्या होगा मेरे मरने के बाद?
मेरी लाश को उठाएंगे
नाक को दबाते हुए
शरिर को छूएँगे मगर
खुदको बचाते हुए
बच्चे कुछ दिन रोएँगे, गाएँगे
मेरी यादों मे डूब जाएंगे
बीबी की चूड़ियाँ तोडी जाएगी
सिंदूर मिटाया जाएगा
सफ़ेद सारी पहनाई जाएगी
कुछ लोग जो मुझे नहीं जानते
वो भी मेरी वाहवाही गाएँगे
सभी मुझे अच्छा इंसान बताएँगे
मेरे नाम का गुणगान करेंगे
सभी मेरा अब सम्मान करेंगे
मुझे नहलाकर, घी लगाकर
कफन मे लपेटा जाएगा
फिर बड़े प्यार से मुझे
पलंग मे समेटा जाएगा
फिर एक आवाज़ के साथ
मेरा शव उठाया जाएगा
राम नाम के साथ
मेरा आखिरी सफर शुरू होगा
जिन रास्तों से मैं रोज़ गुजरता था
आज वहीं से मेरा शव गुजरेगा
अब मगर लौटके कभी आना न होगा
शमशान लेकर जाएंगे
लकड़ियाँ सजाएँगे
डोम को बुलाकर फिर
मुखाग्नि करवाएँगे
तब कहीं जाकर मुझसे
यह शरिर छूटेगा
हांर-मांस का ये शरिर
मिट्टी में जा मिलेगा
मगर ये अंत नहीं होगा
खेल यू ही खत्म नहीं होगा
आंखे बंद होगी मेरी
मगर चलचित्र बंद नहीं होगा
यमराज से मिलुंगा
चित्रगुप्त से कहूँगा
अपनी जीवन यात्रा का मैं
फिर एक जायजा लूँगा
कितना सही था मैं
और कितना गलत रहा
मेरे खातिर अब तक
किसने कितना गम सहा
किसका क्या बिगाड़ा मैंने
किसका क्या भला किया
किसकी भावना को समझा
और किसको दगा दिया
किसको देना रह गया
किससे पाना रह गया
मेरे कारण इस जहां मे
किसका मकान ढह गया
"मौलिक व अप्रकशित"
अमन सिन्हा
Comment
जीवन यात्रा की अच्छी झलकी दिखी, सुंदर संदेश , अच्छा प्रयास है, जय श्री राधे।
आदरणीय अमन सिन्हा जी, निस्संदेह आप इस मंच पर अभी नए हैं. आपको इस पटल की कई परिपाटियों से जानकार होना बाकी है.
ओबीओ का मंच सोशल-साइट का आम मंच नहीं है. यह सीखने-सिखाने का निराला मंच है. उचित है, आप इस तथ्य के प्रति संवेदनशील हों.
आप अपनी अभिव्यक्तियों से पटल के सदस्यों को जानकार करना चाहते हैं. यह सहज सोच और प्रक्रिया है.
किन्तु, आप यह भी जानें कि यह मंच आपको एक पाठक के तौर पर भी देखता है. यह अत्यंत महत्त्वपूर्ण तथ्य है कि आपका पाठक ही आपकी अभिव्यक्तियों का तार्किक आलोचक होने वाला है.
बशर्ते, आप पटल पर प्रस्तुत हुई अन्यान्य रचनाओं पर प्रतिक्रिया देना प्रारम्भ करें.
सर्वोपरि आप यह भी समझें, कि इस मंच पर सदस्य अपने से वरिष्ठ या समकक्ष सदस्यों को आवश्यकतानुसार आदरणीय/ आदरणीया या फिर जनाब जैसे गरिमापूर्ण सम्बोधनों से सूचित करता है. अनुजों से भाई का सम्बोधन स्वीकार्य है. विश्वास है, आप भी इस परिपाटी का अनुसरण करने लगेंगे.
शुभातिशुभ
अभिव्यक्तियों की श्रेणी से आप क्या समझते हैं, आदरणीय अमन सिन्हा जी ?
इस पटल पर आपकी हालिया प्रकाशित हुईं कई रचनाएँ देख जाने का सौभाग्य मिला है. आपकी रचनाप्रक्रिया को जो कुछ समझ पा रहा हूँ, उसी तथ्य के हवाले से आपकी रचना पर मैंने अपनी बातें कही हैं.
लिजलिजी भावुकता से परे तथ्यपरक रचनाओं पर अभ्यास करें तो रचनाप्रक्रिया में उत्तरोत्तर सुधार भी हो.
सतत अभ्यास करें.
शुभातिशुभ
@Saurabh Pandey क्या आप इसे अभिव्यक्ति की श्रेणी मे नहीं रखते??
ऐसे अभिव्यक्तियों या अभ्यासों पर प्रतिक्रिया देना साहित्य-पटल की गरिमा के अनुकूल प्रतीत नहीं होता.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online