For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रोला छंद .....

मात्र नहीं संयोग ,जीव का सुख-दुख  पाना ।
सीमित तन में श्वास,लौट के सब के  जाना ।
भोर-साँझ आभास, जगत  है  झूठी  आशा ।
आदि संग अवसान, ईश का अजब तमाशा ।

***********************************

समझो मन की बात, रात है सजनी  छोटी ।
आ जाओ कुछ पास, प्रेम की  सेकें  रोटी ।
यौवन के दिन चार, न  लौटे कभी जवानी ।
लिख डालें फिर आज,प्रेम की नई कहानी ।

सुशील सरना / 21-3-22

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 327

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on March 23, 2022 at 1:39pm
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सादर प्रणाम सर सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है । सलमान त्रुटि इंगित करने का दिल से आभार । ये टंकण त्रुटि हुई है । अभी संशोधित करता हूँ सर । हार्दिक आभार सर
Comment by Sushil Sarna on March 23, 2022 at 1:36pm
आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर प्रणाम सृजन के भावों को मान देने व सुझाव देने का दिल से आभार ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 22, 2022 at 9:23pm

आदरणीय सुशील सरना जी, 

रोला छंद पर सधे हाथ हुआ प्रयास श्लाघनीय है. 

जय-जय 

एक बात :

बात स्त्रीलिंग होने से समझो मन की बात  शुद्ध चरण-पंक्ति होगी.

Comment by Chetan Prakash on March 22, 2022 at 4:55pm

पुनश्च  : हाँ  रोला  चौकड़ी है,  द्वय नही, भूल  सुधार कर रहा  हूँ । पहले रोला  का सम चरण  पुन: देखें जिस में कारक कर्म  के स्थान  पर  कदाचित  अधिकरण हो गया  है !

Comment by Chetan Prakash on March 22, 2022 at 4:43pm

 सुंदर  भाव पूर्ण  रोला द्वय छंद  की रचना  हुई  है, सरना साहब  !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय बड़े भाई , उत्साहवर्धन के लिए आपका आभार "
3 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय सौरभ भाई , सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार   निहायत सहजता और सरलता से आप एक नया…"
5 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह वाह .. वाह वाह ..  आदरणीय अजय गुप्ता ’अजेय’ जी. आपकी इस सुगढ़ नज्म के लिए…"
14 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, प्रदत्त विषय पर आपकी गजल प्रभावी बन पड़ी है. हार्दिक बधाई.  सर्वोपरि,…"
42 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"प्रदत्त विषय पर आपकी सुन्दर दोहावली श्लाघनीय है, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी.  आपने युद्ध से…"
49 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आप इस पटल के वरिष्ठ सदस्य हैं. इस पटल के सदस्य अपनी तात्कालिक समझ के अनुसार…"
1 hour ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'

बह्र-ए-मुजतस मुसमन मख़बून महज़ूफ मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन 1212  1122  1212  112/22  किसे…See More
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रूखे व्यवहार से मैं आहत हूँ । आदेशात्मक प्रवृत्ति किसी भी रचनाकार के …"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"उभयमार्ग ही अभयमार्ग --------------------------- शांति की बात कर रही दुनिया युद्ध में फिर भी मर…"
2 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"उचित है आदरणीय गिरिराज....जी मतले में सुधार के साथ दो शेर और शामिल कर हूँ....सभी अग्रजों…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आ. भाई सुशील जी सादर अभिवादन। दोहों के लिए हार्दिक बधाई।  भाई योगराज जी के कथन को अन्यथा न ले…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहो पर उपस्थिति और मार्गदर्शन के लिए आभार। आपके सुझाव से मूल दोहे…"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service