तु देखे ना देखे मुझे तुझ पर छोडा है
पर मैं ना देखूं तुझे ये मुमकिन ही नहीं
तु चाहे ना चाहे मुझे ये तेरी मर्ज़ी है
पर मैं ना चाहूँ तुझे ये मुमकिन नहीं
एक सच ये भी है की तु बस मेरी है
ये तु ना माने, बात कुछ खास नहीं
कभी फुर्सत में भी ना देखना तू आईना
अक्स मेरा तुझमे ना दिख जाए कहीं
खो आया हूँ तेरी गलियों में मैं दिल अपना
साथ ले आना अपने, उसे, जो मिल जाए कहीं
चल पड़ा जो कभी लौट के ना आऊंगा
के ये वो मर्ज़ है जिसका है कोई इलाज नही
बहुत रोए हैं तेरे ग़म में और ना रो पाएंगे
फ़रियाद कई है पर अब बची आवाज़ नहीं
सांसे चलती है और जिस्म अब भी ज़िंदा है
ज़िंदा रहने में मगर वैसी कोई बात नहीं
दर्द दिल का जो मैं किसी से बाँट सकूं
लफ्ज़ तो है कई पर बचे ज़ज़्बात नहीं
मैं भी तोड़ सकूं तेरी तरह दिल तेरा
अब इतने भी सही है मेरे हालात नहीं
बात अब भी बड़े प्यार से किया करती है
उन बातों में मगर पहली सी वो बात नहीं
अपने हाथ को मेरे हाथ में थमा रक्खा है
पास हरदम है मेरे पर वो मेरे साथ नहीं
कई बार तुझको मैंने दिल से भुलाना चाहा
कभी दिल ने तो कभी हिम्मत ने दिया साथ नहीं
बैठ तन्हाइयों में मैं कितनी दफा रोया भी
आँखों से अश्क तो आए पर कोई आवाज़ नहीं
एक मुद्दत से तुझे दिल में बसा रक्खा था
तेरी सूरत को इस दिल में बसा रक्खा था
तेरी फितरत को देखा तो मैं ये जान गया
तू ना चाहे मुझे इसमें कोई नई बात नहीं
"मौलिक व अप्रकाशित"
अमन सिन्हा
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