बोल जो हमने लिखे थे गीत तेरे हो गए
साथी मेरे जो भी थे सब मीत तेरे हो गए
वो हया थी या भरम था हम थे जिस पर मर गए
आज भी हम सोचते है क्या ख़ता हम कर गए
चाह थी हंसी की हमको आंसुओ से भर गए
पास थे मंज़िल के अपने गुमशूदा तुम कर गए
एक तेरी खातिर हमतो इस जहाँ से लड़ गए
रस्मों रिवाज़ तोरे हद से हम गुज़र गए
क़तार लम्बी थी मगर उसमे अपना भी नाम था
दीवानो में सबसे ऊपर अपना ही मुकाम था
हम थे बेसब्र हमको इश्क़ का गुमान था
चांदी के सिक्कों पे चलना तेरा भी अरमान था
साथ न छोड़ेंगे तेरा खुदसे वादा कर गए
होश में थे तुम मगर हालात पर मुकर गए
चैन, करार, सुकून सब साथ अपने ले गए
आंहे भरते रह गए हम किसी और के तुम हो गए
तुम थे बेखबर हमसे तुमको न एहसास था
तुम गए तो साथ अपने मेरी रूह को भी ले गए
फिज़ा थी ग़मगीन और दर्द का माहौल था
अश्क तुमने रख दिए और मुस्कान लेकर चल गए
जीतकी ख़ुशी नहीं न हार का है ग़म कोई
हंसते थे जो नैन मेरे कर गया है नम कोई
सबसे छुपा के नज़रे तूने जो बुलाया था
होंटों से कहा नहीं कुछ इशारे से बताया था
गर मिलो तुम कहीं राह में चलते हुए
हाथ थामे हमसफ़र का बात यूँ करते हुए
देखना मगर कभी तुम जानना हमे नहीं
एक अतीत था मैं भी बोलना कभी नहीं
हम चले थे ये मान की ठोकरे ना खाएंगे
चाहे जो भी हो अंजाम दिल को तो लगाएंगे
वो चाहे ना चाहे है किसे परवाह लेकिन
हम अपना हाल-ए- दिल तो जरूर बताएंगे
"मौलिक व अप्रकाशित"
अमन सिन्हा
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