2122 2122 2122 212
1
औरों के जैसा मुकद्दर यार अपना है कहाँ
अपने दिल का जोर उसके दिल प चलता है कहाँ
2
रात होती है कहाँ और दिन गुज़रता है कहाँ
मन मुआफ़िक़़ ज़िन्दगी में जीना मरना है कहाँ
3
एक दिन में कुछ नहीं पर एक दिन होगा ज़रूर
आदमी ये सब्र तब तक यार रखता है कहाँ'
4
आज तक कोई नहीं यह जान पाया दोस्तो
इस ज़माने को बनाने वाला रहता है कहाँ
5
किस तरह भर लूँ उनींदी आँखों में ख़्वाबों के रंग
थपकियाँ देकर सुलाने चाँद आया है कहाँ
6
रूह को"निर्मल" मयस्सर क़ुर्ब हो भी किस तरह
वो नज़र अपनी वहाँ तक ले के जाता है कहाँ
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
वाह बहुत खूब गजल हुई है है .। बहुत खूब ..
वाह बहुत खूब गजल हुई है है .। बहुत खूब ..
आदरणीय समर कबीर सर् सादर नमस्कार।सर् आपके कहे अनुसार सुधार कर दिए हैं।
ग़ज़ल सहीह करने के लिए बेहद शुक्रिय:।
''अपने दिल का जोर उसके दिल प चलता है कहाँ"
अब मिसरा ठीक है ।
आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर जी ग़ज़ल तक आने तथा अपनी राय रखने के लिए हार्दिक धन्यवाद।
आपने सही कहा लेकिन मुझे लगता है कि ख़्वाब नींद आने पर ही आते हैं और ख़्वाब ज़रूरी नहीं कि मनपसंद आएँ।
फिर भी आदरणीय समर कबीर सर् से बात कर लेती हूँ।
सादर।
आदरणीय समर कबीर सर् सादर नमस्कार। उत्तर देरी से देने के लिए क्षमा चाहती हूँ।
आदरणीय सर्, आपने सही कहा कि मिसरअ बह्र में नहीं है।
क्या पर को प कर दूँ।
"अपने दिल का जोर उसके दिल प चलता है कहाँ"
बाक़ी सही कर देती हूँ।
सर् आपका ग़ज़ल तक आने तथा इस्लाह देने के लिए बेहद शुक्रिय:।
मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता हूँ, मुहतरम समर कबीर साहिब ने बहतरीन इस्लाह फ़रमाई है,
"किस तरह भर लूँ उनींदी आँखों में ख़्वाबों के रंग" इस मिसरे के शिल्प पर ग़ौर कीजियेगा, 'उनींदी आँखें' मतलब नींद से भरी हुई आँखें यानि ख़्वाब आ सकते हैं :-)) मुनासिब समझें तो इस मिसरे को यूँ कर लें -
"जागती आँखों में भर लूँ किस तरह ख़्वाबों के रंग"
मुहतरमा रचना भाटिया जी अआदाब , ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें I
'अपने दिल का जोर उसके दिल पर चलता है कहाँ'--ये मिसरा बह्र में नहीं देखें I
'मन मुआफ़िक ज़िन्दगी में जीना मरना है कहाँ'--मुआफ़िक--"मुआफ़िक़"
'आदमी पर सब्र तब तक यार रखता है कहाँ'--इस मिसरे को यूँ कहें :-
'आदमी ये सब्र तब तक यार रखता है कहाँ'
'रूह को"निर्मल" मयस्सर कुर्ब हो भी किस तरह'--कुर्ब --"क़ुर्ब"
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