तोड़े थे यकीन मैंने मुहल्ले की हर गली में
चैन हम कैसे पाते इतनी आहें लेकर
मौत हो जाए मेहरबा हमपे नामुमकिन है
ठोकरे हीं हमको मिलेंगी उसके दरवाज़े पर
हर परत रंग मेरा यूँ ही उतरता गया
ज़मी थी सख्त मैं मगर बस धंसता हीं गया
गुनाह जो मैंने किये थे बे-खयाली में
याद करके उन सबको मैं बस गिनता गया
किसी का हाथ छोड़ा किसी का साथ छोड़ दिया
मैंने हर बदनामी को उनकी तरफ मोड़ दिया
सामने जब भी वो आए अपना बनाने के लिए
अपने बेअदबी से मैंने उनका भरम तोड़ दिया
वो न मिले महफ़िल में मुझसे तो अच्छा है
गलत थे हम ही दिल उनका आज भी सच्चा है
तार दिल के उसी ने जोड़े रखे है अब भी
हमारा हर धागा अब भी बहुत कच्चा है
वो चले थे साथ हमारे हाथ को पकड़े हुए
हम किसी और के खयालों में थे जकड़े हुए
एक बूँद भी वफाई हमसे हो ना सकी
उसने जान लुटाई हम पर मरते भी हुए
मैं बड़ा खुश था मैंने उसका दिल तोड़ दिया
अकेले राह में उसको तड़पता छोड़ दिया
हर तस्वीर में दिख जाती है सूरत उसकी
हमने जीते जी जिसे मुर्दा बना के छोड़ दिया
बड़ा खेला है मैंने ज़ज़्बातो से लोगों के
भिंगाए थे सभी ने दामन अपने बस रो-रो के
हमे आता था मज़ा देखकर टूटना उनका
हंस देते थे हम देख के हाल औरों के
सोचा था उनसे मुलाकात फिर न हो पाएगी
हुई थी पहले जो कोई बात फिर न हो पाएगी
जा के छुप जाएंगे अँधेरे में हम चोरों की तरह
साथ चेहरे का आँखे अब और न दे पाएगी
आज मैंने पहली बार उस रब को याद किया
नाम लेकर ना जाने कितनो को बर्बाद किया
सजा में थोड़ी भी ना तू रियायत करना
यही हर बार मैंने उससे फ़रियाद किया
अपने हर इलज़ाम से आज़ाद तुम हमे कर दो
अपनी दुआओं से फिर आबाद तुम हमे कर दो
है नहीं सानी कोई जग में मेरी गुनाहो का
एक बार बस एक बार माफ़ तुम मुझे कर दो
"मौलिक व अप्रकाशित"
अमन सिन्हा
Comment
आद0 अम्न सिन्हा जी सादर अभिवादन
बढ़िया सृजन है। बधाई स्वीकार कीजिये
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