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जन्माष्टमी के अवसर पर कुछ दोहे

मन्द -मन्द मुस्का रहे, पलने में गोपाल  ।
देख - देख गोपाल को, जीवन हुआ निहाल।।

ढोल नगाड़े घंटियाँ, जयकारे का शोर ।
दिग दिगंत से देवता, देखें नन्द किशोर ।।

माँ से माखन माँगता, जग का पालनहार ।
माँ अपने गोपाल को, माखन दे सौ बार ।।

माखन खाते लाल को , मैया रही निहार ।
उसकी तुतली बात पर, माँ को आता प्यार ।।

पाप हरन के वास्ते, हुआ कृष्ण अवतार ।
कान्हा अपने भक्त का, सदा करें उद्धार ।।

ठुमक - ठुमक कान्हा चलें , पकड़ -पकड़ दीवार ।
पीछे -पीछे दौड़ कर ,माँ पकड़े हर बार ।।

जग के पालनहार की, महिमा अपरम्पार ।
बैठ यशोदा अंक में, कृष्ण करें मनुहार ।।

सुशील सरना / 19-8-22

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment by Sushil Sarna on September 4, 2022 at 2:53pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 3, 2022 at 6:03am

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। जन्माष्टमी पर  उत्तम दोहों के लिए बहुत बहुत हार्दिक बधाई।

Comment by Sushil Sarna on August 23, 2022 at 5:23pm
आदरणीय अमीरुद्दीन साहिब, आदाब - सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय
Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on August 23, 2022 at 4:15pm

आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, दोहों के माध्यम से जन्माष्टमी के अवसर पर श्री कृष्ण और माँ यशोदा के प्यार और मनुहार का सुंदर चित्रण प्रस्तुत किया है आपने, बधाईयाँ। 

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