For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

221 - 2121 - 1221 - 212

ख़ुशियों का मौक़ा आया है ख़ुशियाँ मनाइये

आज़ादी का ये दिन है ज़रा मुस्कुराइये 

क़ुर्बानियाँ शहीदों की भूलेंगे हम नहीं 

दिल से कभी हमारे मिटेंगे ये ग़म नहीं

माना वो दर्द हमसे भुलाया न जाएगा 

ये जश्न भी ख़ुशी का मिटाया न जाएगा 

मिलकर सब एक साथ तिरंगा उठाइये 

जय हिंद की सदा से फ़ज़ा को गुँजाइये 

ख़ुशियों का मौक़ा आया है ख़ुशियाँ मनाइये

आज़ादी का ये दिन है ज़रा मुस्कुराइये 

हमने ग़ुलामियों में गुज़ारी थी ज़िन्दगी 

लाखों सरों के बदले में पायी थी ये ख़ुशी 

सीने का ज़ख़्म चीर दिखाया न जाएगा 

रोकर भी तो ये जश्न मनाया न जाएगा 

आँसू को पोंछ फख़्र से सीना फुलाइये

ग़म को किनारे करके ज़रा मुस्कुराइये

ख़ुशियों का मौक़ा आया है ख़ुशियाँ मनाइये

आज़ादी का ये दिन है ज़रा मुस्कुराइये 

क़ुर्बान हो गये जो इसी आन-बान को

भारत की शान प्यारे तिरंगे निशान को 

हमसे ये क़र्ज़ उनका चुकाया न जाएगा 

बलिदान कर गये जो भुलाया न जाएगा 

आपस के शिकवे और गिले भूल जाइये 

हँसिये सभी के साथ सभी खिलखिलाइये 

ख़ुशियों का मौक़ा आया है ख़ुशियाँ मनाइये

आज़ादी का ये दिन है ज़रा मुस्कुराइये 

"मौलिक व अप्रकाशित" 

Views: 304

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on August 24, 2022 at 8:04am

आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, रचना पर आपकी उपस्थिति और मनोहर प्रतिक्रिया और उत्साहवर्धन हेतु आभार। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 24, 2022 at 5:59am

आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। स्वाधीनता पर्व पर उत्कृष्ट रचना हुई है। हार्दिक बधाई।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on August 23, 2022 at 6:58pm

आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on August 22, 2022 at 12:31pm
वाह आदरणीय अमीरुद्दीन साहिब बहुत ही सुंदर और सार्थक प्रस्तुति दी है आपने सर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई महेंद्र जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए हार्दिक बधाई।"
2 minutes ago
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

आंचलिक साहित्य

यहाँ पर आंचलिक साहित्य की रचनाओं को लिखा जा सकता है |See More
30 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हर सिम्त वो है फैला हुआ याद आ गया ज़ाहिद को मयकदे में ख़ुदा याद आ गया इस जगमगाती शह्र की हर शाम है…"
59 minutes ago
Vikas replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"विकास जोशी 'वाहिद' तन्हाइयों में रंग-ए-हिना याद आ गया आना था याद क्या मुझे क्या याद आ…"
1 hour ago
Tasdiq Ahmed Khan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"ग़ज़ल जो दे गया है मुझको दग़ा याद आ गयाशब होते ही वो जान ए अदा याद आ गया कैसे क़रार आए दिल ए…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"221 2121 1221 212 बर्बाद ज़िंदगी का मज़ा हमसे पूछिए दुश्मन से दोस्ती का मज़ा हमसे पूछिए १ पाते…"
3 hours ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेंद्र जी, ग़ज़ल की बधाई स्वीकार कीजिए"
4 hours ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"खुशबू सी उसकी लाई हवा याद आ गया, बन के वो शख़्स बाद-ए-सबा याद आ गया। वो शोख़ सी निगाहें औ'…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हमको नगर में गाँव खुला याद आ गयामानो स्वयं का भूला पता याद आ गया।१।*तम से घिरे थे लोग दिवस ढल गया…"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"221    2121    1221    212    किस को बताऊँ दोस्त  मैं…"
6 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"सुनते हैं उसको मेरा पता याद आ गया क्या फिर से कोई काम नया याद आ गया जो कुछ भी मेरे साथ हुआ याद ही…"
13 hours ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।प्रस्तुत…See More
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service