(आ. समर सर जी की इस्लाह के बाद)
(22 22 22 22)
सोचा कुछ तो होगा उसने
हमको मुड़कर देखा उसने
कौन वफ़ा करता है ऐसी
सारी उम्र सताया उसने
जुड़ता कैसे ये टूटा दिल
टुकड़े करके छोड़ा उसने
जब-जब ज़िक्र-ए-उल्फ़त छेड़ा
तब-तब मुझको टोका उसने
उसको कौन समझ सकता था
बदला रोज़ मुखौटा उसने
जिसको सबसे बढ़कर चाहा
छोड़ा मुझको तन्हा उसने
जाकर वापस क्यों आता मैं
बाद-ए-मर्ग पुकारा उसने
'ज़ैफ़' ग़ज़ल कहता है सच्ची
अच्छा नाम कमाया उसने
(मौलिक/अप्रकाशित)
Comment
बहुत शुक्रिया, आ. समर सर। सादर
अब ग़ज़ल ख़ूब हो गई, पुनः बधाई ।
बहुत शुक्रिया आपका, आदरणीय समर सर, सादर।
जनाब ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है , बधाई स्वीकार करें I
'लाख जुड़ाना चाहा उसने'--- इस मिसरे में 'जुड़ाना' शब्द उचित नहीं है, बदलने का प्रयास करें I
'जिसको सबसे ज़्यादा चाहा'--- इस मिसरे में आपकी जानकारी के लिए बता रहा हूँ कि सहीह शब्द "ज़ियादा" १२२ है, ग़ज़ल में इसे 22 पर लेना उचित नहीं, देखिएगा I
बहुत शुक्रिया आदरणीय, डॉ. छोटेलाल जी।
आदरणीय जैफ जी बहुत ही भावपरक एक बेहतरीन गजल पढ़कर हृतकंज सरसित हुआ दिली मुबारकवाद क़ुबूल कीजिए
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online