212 1212 1212 1212
थामती नहीं हैं पलकें अश्कों का उबाल तक
भूल-सा गया है दिल भी, धड़कनों की ताल तक
दो दिलों की दास्ताँ न कोई समझा है यहाँ
अपना इश्क़ आ ही पहुँचा जुर्म के मलाल तक
ऐ ख़ुदा, रखूँ मैं तुझसे रहमतों की आस क्या
मैं पहुँचता ही नहीं कभी तेरे ख़याल तक
हाय! आ रहा है प्यार झूठे ग़ुस्से पर तेरे
लाल शर्म से पड़े हैं यार, तेरे गाल तक
आशना तुझे कहा है मैंने जाने किसलिए
पूछता…
ContinueAdded by Zaif on January 12, 2023 at 7:30pm — 2 Comments
2122 1212 22/112
इश्क़ में दिल-जले नहीं होते
काश के तुम मिरे नहीं होते
बस ज़रूरत बिगाड़ देती है
लोग वर्ना बुरे नहीं होते
यूँ चमत्कार रोज़ होते हैं
बस हमारे लिए नहीं होते
दोष मत दो नसीब को अपने
दुनिया में ग़म किसे नहीं होते
एक बिजली जला गई थी यूँ
ये शजर अब हरे नहीं होते
तोड़ना दिल मुझे भी आता है
काश तुम फूल-से नहीं होते
'ज़ैफ़' उनका तो हो गया लेकिन
वो…
Added by Zaif on January 6, 2023 at 7:27pm — 7 Comments
11212 11212 11212 11212
हैं यूँ ज़िंदगी ने सितम किए, मुझे क्या से क्या है बना दिया
मैं तो आसमाँ के सफ़र में था, मुझे ख़ाक में ही मिला दिया
ये ख़ुशी भी दर्द समेत थी, कि ग़मों के सहरा की रेत थी
जो ख़ुशी ने लाके दिया मुझे, मिरे ग़म ने उसको भी खा दिया
मिरे दिल में दर्द ही दर्द था, कि तमाम उम्र ये सर्द था
लहू सारा दिल ने उड़ेल कर यूँ नज़र के रस्ते गिरा दिया
जो दिल-ओ-जिगर से भी प्यारा था, जिसे अपना कहके पुकारा…
ContinueAdded by Zaif on December 26, 2022 at 9:17pm — 6 Comments
122 122 122 12
सज़ा तय हुई है ख़ता के बग़ैर
गला जाएगा अब रज़ा के बग़ैर
मेरे सब्र की इंतिहा देखिए
शिफ़ा चाहता हूँ दवा के बग़ैर
तेरे दाम-ए-तज़्वीर की ख़ैर हो
रिहा हो गया हूँ क़ज़ा के बग़ैर
तेरी बेवफ़ाई प कबतक जियूँ
कभी इश्क़ कर ले दग़ा के बग़ैर
अजब रस्म-ए-दुनिया है क़ाबिज़ यहाँ
न कुछ भी मिले इल्तिजा के बग़ैर
अना से छुटा तो ख़याल आया है
मैं कुछ भी नहीं हूँ ख़ुदा के…
Added by Zaif on December 24, 2022 at 2:48pm — 5 Comments
122 122 122 122
अभी दुश्मनी में वो शिद्दत नहीं है
हवा को चराग़ों से दिक़्क़त नहीं है
सभी को यहाँ मैं ख़फ़ा कर चुका हूँ
मुझे सच छुपाने की आदत नहीं है
मुझे है बहुत कुछ बताने की चाहत
मगर बात करने की मोहलत नहीं है
किसी से तुझे क्यों मिलेगी मुहब्बत
तुझे जब तुझी से मुहब्बत नहीं है
हक़ीक़त कहूँ तो मैं हूँ ख़ैरियत से
मगर ख़ैरियत में हक़ीक़त नहीं है
मिरे दिल पे तेरी हुक़ूमत है…
ContinueAdded by Zaif on November 19, 2022 at 12:07am — 4 Comments
(आ. समर सर जी की इस्लाह के बाद)
(22 22 22 22)
सोचा कुछ तो होगा उसने
हमको मुड़कर देखा उसने
कौन वफ़ा करता है ऐसी
सारी उम्र सताया उसने
जुड़ता कैसे ये टूटा दिल
टुकड़े करके छोड़ा उसने
जब-जब ज़िक्र-ए-उल्फ़त छेड़ा
तब-तब मुझको टोका उसने
उसको कौन समझ सकता था
बदला रोज़ मुखौटा उसने
जिसको सबसे बढ़कर चाहा
छोड़ा मुझको तन्हा उसने
जाकर वापस…
ContinueAdded by Zaif on November 18, 2022 at 7:32pm — 6 Comments
2122 1212 22/112
जितनी क़िस्मत में थी लिखी रोटी
सबको उतनी ही मिल सकी रोटी
मुफ़्लिसी, भूख, दर्द, दुख, आंसू
हां, बहुत कुछ है बोलती रोटी
याद परदेस में भी आती है
मां के हाथों की वो बनी रोटी
ज़ाइक़ा कुछ अलग ही है इनका
वो नमक-मिर्च, वो दही-रोटी
रो रहा है सड़क पे इक बच्चा-
'दो दिनों से नहीं मिली रोटी'
कीं बहुत 'ज़ैफ़' कोशिशें हमने
बन न पाई वो गोल-सी…
Added by Zaif on November 8, 2022 at 5:30am — 8 Comments
2122 2122
यूँ मुहब्बत हो गई है
गोया आफ़त हो गई है
बिन बताये जा रही हो
इतनी नफ़रत हो गयी है?
तुम भी चुप हो, मैं भी चुप हूँ
एक मुद्दत हो गयी है
नींद क्योंकर आए हमको?
अब तो उल्फ़त हो गयी है
पास मेरे आ गयी तुम
थोड़ी राहत हो गयी है
यूँ ख़ुदी से लड़ रहा हूँ
ज्यूँ बग़ावत हो गयी है
'ज़ैफ़' उसके जाते ही ये
क्या क़यामत हो गयी है!
(मौलिक…
ContinueAdded by Zaif on October 29, 2022 at 4:36am — 10 Comments
2122 2122 2122 2122
इक भी आंसू क्यों गिरे जब आंख शोला-बार हो तो
कैसे कोई ख़ुश रहे जब दिल ही में आज़ार हो तो
आपसे है जंग तो मंज़ूर है ये सरफ़रोशी
क्या करें जब आपके ही हाथ में तलवार हो तो
लग रही है ज़िंदगी भी कुछ दिनों से अजनबी सी
लौट आना तुमको मुझसे थोड़ा सा भी प्यार हो तो
क्या किसी के सामने अब राज़े-ज़ख़्मे-पिन्हां खोलें
आपका ग़म-ख़्वार ही जब दुश्मनों का यार हो तो
तूने गरचे तोड़ डाले सारे नाते एक पल में
एक वहशी…
Added by Zaif on September 29, 2021 at 7:30pm — 2 Comments
Added by Zaif on September 28, 2021 at 6:46pm — 8 Comments
Added by Zaif on April 7, 2017 at 11:03am — 7 Comments
Added by Zaif on February 8, 2015 at 2:40pm — 8 Comments
Added by Zaif on August 15, 2014 at 5:34am — 5 Comments
Added by Zaif on July 10, 2014 at 8:35am — 10 Comments
Added by Zaif on June 3, 2014 at 9:01pm — 8 Comments
(2212 2212)
या बेख़ुदी की बात कर।
या दिल्लगी की बात कर।
तू ये बता क्या हाल है?
अपनी ख़ुशी की बात कर।
अब उस सदी की बात क्यूँ?
तू इस सदी की बात कर।
जो याद करता हो तुझे,
तू भी उसी की बात कर।
या तो ख़ुदा का नाम ले,
या बंदगी की बात कर।
जो कान में रस घोल दे,
उस बांसुरी की बात कर।
है क्या रखा इस जंग में?
कुछ आशिक़ी की बात कर।
जो भेंट ज्वाला की चढ़ी,
उस…
Added by Zaif on May 28, 2014 at 9:30am — 16 Comments
(2212 2212)
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थे साथ मेरे जो कभी
मेरे नहीं थे वो कभी
कुछ दर्द कम तो हो मिरा,
ये घाव सी डालो कभी
जी को ज़रा ख़ामोश कर,
इन आँसुओं को रोक भी
कबतक दुखों से काम लूँ?
कोई ख़ुशी भी दो कभी
मैं ही सदा पलटा करूँ?
तुम भी मुझे रोको कभी
जिनका नहीं कोई कहीं,
उनके लिए भी रो कभी
जो मैं सही हूँ, 'दाद' दे,
जो मैं ग़लत हूँ, टोक भी
माँ ही…
ContinueAdded by Zaif on March 28, 2014 at 5:30pm — 9 Comments
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