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ग़ज़ल - आदत हो गयी है

(2122 2122)

इक बुरी लत हो गयी है।
तेरी आदत हो गयी है।

नींद किसको आएगी अब?
जब मुहब्बत हो गयी है।

इश्क़ करवट ले रहा है,
इक शरारत हो गयी है।

शायरी जो मैंने लिक्खी,
प्यार का ख़त हो गयी है।

तुम भी चुप हो मैं भी चुप हूँ,
एक मुद्दत हो गयी है।

यूँ ख़ुदी से लड़ रहा हूँ,
ज्यूँ बग़ावत हो गयी है।

बिन बताये जा रहे हो!
इतनी नफ़रत हो गयी है?

मैंने तो उल्फ़त करी थी,
पर इबादत हो गयी है।

पास मेरे, आ गईं तुम,
थोड़ी राहत हो गयी है।

'ज़ैफ़', मेरा हाल देखो!
क्या बुरी गत हो गयी है।

© ज़ैफ़

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by Zaif on July 17, 2014 at 4:39pm
आप सभी आदरणीय जनों का तहे-दिल से शुक्रिया।
मैं रोज़ कुछ नया सिखने की कोशिश करता हूँ। पुनः धन्यवाद आप सभी को।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 15, 2014 at 11:16pm

एक अच्छी ग़ज़ल से गुजरने का अवसर मिला है जनाब ज़ैफ़ साहब.
आपकी ग़ज़लों से गुजरने का जब-जब अवसर मिलता है कुछ-न-कुछ नया मिलता है.

मैंने तो उल्फ़त करी थी,
पर इबादत हो गयी है।..  वाह !

इस बढिया प्रस्तुति पर दिल से दाद कुबूल फ़रमायें साहब.

एक बात,
इस शेर में तकाबुले रदीफ़ का ऐब है. इसके प्रति संवेदनशील हों तो अवश्य दुरुस्त हो लें,
इश्क़ करवट ले रहा है,
इक शरारत हो गयी है

बहरहाल, आपकी इस बढिया ग़ज़ल के लिए दिल से बधाई.

Comment by vijay nikore on July 13, 2014 at 4:36pm

बहुत अच्छी गज़ल के लिए बधाई।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 13, 2014 at 9:32am

मैंने तो उल्फ़त करी थी,
पर इबादत हो गयी है।..............क्या बात है, बहुत खूब. दिली बधाई आपको आदरणीय यमित जी

Comment by Santlal Karun on July 12, 2014 at 8:30pm

आदरणीय यमित जी,

अच्छी ग़ज़ल,प्रस्तुति, नवीन भावों के साथ; साधुवाद एवं सद्भावनाएँ !

Comment by Nilesh Shevgaonkar on July 11, 2014 at 2:02pm

वाह वाह ..बहुत ख़ूब ज़नाब ज़ैफ़ साहब..
बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 10, 2014 at 7:49pm

आ. यमित भाई , छोती बह्र मे अच्छी गज़ल कही है , बधाइयाँ स्वीकार करें ॥

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 10, 2014 at 6:50pm

जैफ भाई

बहुत अच्छी गजल है i इसके लिए आपको बधाई i

Comment by भुवन निस्तेज on July 10, 2014 at 6:10pm

मैंने तो उल्फ़त करी थी,
पर इबादत हो गयी है।

क्या बात है आदरणीय, बधाई हो...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 10, 2014 at 10:33am

बहुत बढ़िया जनाब ज़ैफ़ साहब बहुत बहुत बधाई इस ग़ज़ल के लिये

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