For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - यूँ मुहब्बत हो गई है

2122 2122

यूँ मुहब्बत हो गई है
गोया आफ़त हो गई है

बिन बताये जा रही हो
इतनी नफ़रत हो गयी है?

तुम भी चुप हो, मैं भी चुप हूँ
एक मुद्दत हो गयी है

नींद क्योंकर आए हमको?
अब तो उल्फ़त हो गयी है

पास मेरे आ गयी तुम
थोड़ी राहत हो गयी है

यूँ ख़ुदी से लड़ रहा हूँ
ज्यूँ बग़ावत हो गयी है

'ज़ैफ़' उसके जाते ही ये
क्या क़यामत हो गयी है!

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 485

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Devesh Kumar on November 10, 2022 at 12:41pm

वाह , बहुत खूब ।

Comment by Zaif on November 8, 2022 at 4:47am

बहुत आभार आदरणीय महेंद्र जी और ब्रज जी।

Comment by Zaif on November 7, 2022 at 10:49pm

आदरणीय समीर सर, बहुत शुक्रिया आपका। आगे से ध्यान रखूंगा। आभार।

Comment by Samar kabeer on November 5, 2022 at 6:48pm

जनाब ज़ैफ़ जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई स्वीकार करें I 

जनाब महेन्द्र कुमार जी की बात पर ध्यान दें I 

एक बात ध्यान में रखें कि ग़ज़ल में किसी भी तरह के विराम चिन्हों का प्रयोग नहीं किया जाता  I 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 4, 2022 at 9:53pm

बढ़िया ग़ज़ल कही भाई जैफ...हार्दिक बधाई

Comment by Mahendra Kumar on November 4, 2022 at 10:02am

बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है आदरणीय ज़ैफ़ जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। मतले में "गई" है और बाकी अशआर में "गयी"। कृपया ध्यान दें और दोनों में से किसी एक का ही पूरी ग़ज़ल में प्रयोग करें। 

Comment by Zaif on November 3, 2022 at 11:41pm

बहुत शुक्रिया आदरणीय अमीर सर। बहुत आभार।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on October 31, 2022 at 5:22pm

आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ख़ूबसूरत अहसासात से लबरेज़ उम्द: ग़ज़ल कही है आपने, दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ।

Comment by Zaif on October 31, 2022 at 2:07pm

बहुत बहुत शुक्रिया, रवि भसीन 'शाहिद' जी..

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on October 31, 2022 at 11:21am

आदरणीय जैफ़ साहिब, आदाब। छोटी बह्र में आपने बहुत उम्द: ग़ज़ल कही है, इस पर दाद और मुबारकबाद क़ुबूल कीजिये!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

ajay sharma shared a profile on Facebook
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Sunday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service