For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - बेख़ुदी की बात कर

(2212 2212)

या बेख़ुदी की बात कर।
या दिल्लगी की बात कर। 

तू ये बता क्या हाल है?
अपनी ख़ुशी की बात कर। 

अब उस सदी की बात क्यूँ?
तू इस सदी की बात कर। 

जो याद करता हो तुझे,
तू भी उसी की बात कर। 

या तो ख़ुदा का नाम ले,
या बंदगी की बात कर। 

जो कान में रस घोल दे,
उस बांसुरी की बात कर। 

है क्या रखा इस जंग में?
कुछ आशिक़ी की बात कर। 

जो भेंट ज्वाला की चढ़ी,
उस लाडली की बात कर।

क्या ख़ुदकुशी से हल मिला?
अब ज़िंदगी की बात कर।

ताले ज़बां के खोल दे,
मत बेबसी की बात कर।

तू ले मज़ा इस रात का,
बस चाँदनी की बात कर।

तू-मैं, ख़ुदा तो हैं नहीं,
चल आदमी की बात कर!

जिसपे फ़िदा है 'ज़ैफ़' तू,
उस सांवरी की बात कर।

"मौलिक व अप्रकाशित"©

Views: 751

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Zaif on July 17, 2014 at 4:46pm
आप सभी आ. जनों का बेहद बेहद शुक्रिया।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 7, 2014 at 4:32am

ज़ैफ़ साहब, दिलखुश कर दिया आपने.  छोटे को को साधना हमेशा से कठिन हुआ करता है.

दिल से दाद कुबूल करें, भाईजी.

Comment by annapurna bajpai on June 3, 2014 at 11:06am

सुंदर गजल , वाह !! बधाई आपको । 

Comment by बृजेश नीरज on June 2, 2014 at 12:12pm

सुन्दर ग़ज़ल! आपको बधाई!

Comment by Neeraj Neer on June 1, 2014 at 11:50am

बहुत सुन्दर ग़ज़ल..

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 30, 2014 at 2:47pm

आदरणीय जैफ जी ..छोटी बहर में लिखी इस शानदार ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by Meena Pathak on May 29, 2014 at 11:26am
behatreen .... saadar badhai
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 29, 2014 at 11:00am

कमाल की गजल हुई आदरणीय यमित जी

क्या ख़ुदकुशी से हल मिला? 
अब ज़िंदगी की बात कर। ...................बहुत सुंदर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 29, 2014 at 9:48am

जनाब ज़ैफ़ साहब छोटी बह्र में कमाल की ग़ज़ल कही है बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by नादिर ख़ान on May 28, 2014 at 8:32pm

वाह वाह वाह क्या खूब कहा, छोटी बहर में बड़ी - बड़ी बात कह गए आदरणीय यमित जी बहुत खूब....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार अच्छी घनाक्षरी रची है. गेयता के लिए अभी और…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र को परिभाषित करती सुन्दर प्रस्तुतियाँ हैं…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   दिखती  न  थाह  कहीं, राह  कहीं  और  कोई,…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी,  रचना की प्रशंसा  के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार|"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी,  घनाक्षरी के विधान  एवं चित्र के अनुरूप हैं चारों पंक्तियाँ| …"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी //नदियों का भिन्न रंग, बहने का भिन्न ढंग, एक शांत एक तेज, दोनों में खो…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मैं प्रथम तू बाद में,वाद और विवाद में,क्या धरा कुछ  सोचिए,मीन मेख भाव में धार जल की शांत है,या…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्रोक्त भाव सहित मनहरण घनाक्षरी छंद प्रिय की मनुहार थी, धरा ने श्रृंगार किया, उतरा मधुमास जो,…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++ कुंभ उनको जाना है, पुन्य जिनको पाना है, लाखों पहुँचे प्रयाग,…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मंच संचालक , पोस्ट कुछ देर बाद  स्वतः  डिलीट क्यों हो रहा है |"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . जीत - हार

दोहा सप्तक. . . जीत -हार माना जीवन को नहीं, अच्छी लगती हार । संग जीत के हार से, जीवन का शृंगार…See More
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में आपका हार्दिक स्वागत है "
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service