For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

माँ-बाप को समझना कहाँ आसान होता है?
उनका साया हीं हम पर छत के समान होता है

प्रेम का बीज़ जिस दिन से माँ के पेट में पलता है
बाप के मस्तिष्क मे तब से हीं वो धीरे-धीरे बढ़ता है

पहले दिन से हीं बच्चा माँ के दूध पर पलता है
पर पिता के मेहनत से माँ के सिने में दूध पनपता है

सूने घर में कोई बालक जब किलकारी भरता है
उसके मधुर स्वर से हीं तो दोनों को बल मिलता है

पकड़ कर उंगली जीन हाथों ने चलना तुझको सिखाया
अपने हिस्से का बचा निवाला जिसने तुझको खिलाया

सुबह ना देखी रात ना जानी हर मौसम की मार सही
एक तेरी हीं हठ के कारण दोनों की चाह अधूरी रही

तेरी शिक्षा के खातिर उन्होनें जाने कितने कष्ट सहे
उम्र भर की पूंजी लुटाई बिना एक भी शब्द कहे

जब-जब तूने ठोकर खाई हिम्मत हार के बैठ गया
मात-पिता ने स्नेह से अपने डाला तुझमे जोश नया

बड़ा हुआ तू समझ ना पाया किसने तुझको बनाया है
किसने खून जलाया अपना किसने दूध पिलाया है

तू जीते जीवन में हरदम जो इस कारण सब हारे थे
आज उन्ही को तेरी आस थी जो कल तेरे सहारे थे

तू अपनी दुनिया में खोया कभी ना उनकी बात सुनी
अपनी मर्ज़ी से अपनी खातिर जो भी चाहा राह चुनी

जिससे तूने भरी सभा में अपरिचित सा व्यवहार किया
ये वही स्तम्भ है जिसने तेरा हर सपना साकार किया

आज जहां तू खड़ा हुआ है जो ऊंचाई पायी है
किसी ने अपना जीवन खपाकर तेरी सीढ़ी बनाई है

आज वो आँखें सुख चुके है जो तेरे दर्द में रोते थे
होंठ वो अब सुने रह गए जो चूमके तुझको सोते थे

तेरे जाने के बाद भी घर में छ: रोटी हीं पकती है
थाली पडोसे माँ तुम्हारी राह ताकती रहती है

जाने कब से चुप है पापा अब वो बात नहीं करते
तेरी किसी निशानी को अब अपने पास नहीं रखते

अब भी तेरे कमरे की होती रोज़ सफाई है
दीवारों में टंगी हैं अब भी जो चित्र तूने बनाई है

बस तेरी हीं यादों में अब दोनों खोए रहते हैं
पर दोनों हीं एक दूजे को दर्द ना अपना कहते हैं

तू भी जानेगा दर्द को इनके ऐसा भी एक दिन आएगा
बीच भँवर में साथ तुम्हारा जब छोड़ के बच्चा जाएगा


"मौलिक व अप्रकाशित"
अमन सिन्हा

Views: 177

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Zaif on November 8, 2022 at 4:55am

आदरणीय अमन जी, बेहद लाजवाब कविता। Hats off!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"दोहे******करता युद्ध विनाश है, सदा छीन सुख चैनजहाँ शांति नित प्रेम से, कटते हैं दिन-रैन।१।*तोपों…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"स्वागतम्"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश , आपका चुनाव अच्छा है , वैसे चुनने का अधिकार  तुम्हारा ही है , फिर भी आपके चुनाव से…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"एक अँधेरा लाख सितारे एक निराशा लाख सहारे....इंदीवर साहब का लिखा हुआ ये गीत मेरा पसंदीदा है...और…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"//मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है// मगर.. मलाई अपने आप कभी दूध से अलग नहीं होती, जैसे…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय जज़्बातों से लबरेज़ अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले पर अच्छी चर्चा हो रही…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 179 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"बिरह में किस को बताएं उदास हैं कितने किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितने सादर "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"सादर नमन सर "
yesterday
Mayank Kumar Dwivedi updated their profile
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब.दूध और मलाई दिखने को साथ दीखते हैं लेकिन मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service